Jaunpur News : सावित्रीबाई फुले और फातिमा शेख को किया याद | Naya Savera Network
नया सवेरा नेटवर्क
जौनपुर। दिशा फाउंडेशन कबीर पीस सेंटर, अवध यूथ कलेक्ट्यू, तारा एजुकेशन ट्रस्ट के संयुक्त तत्वाधान में एक साथ चार ब्लाकों के पांच ग्राम सभाओं में प्रतिम शिक्षिका माता सावित्री बाई फुले व फातिमा शेख के जन्म दिन को सांझी विरासत के रूप में मनाया गया।
यह कार्यक्रम क्रम सह गोपालापुर ब्लाक धर्मापुर, सकरा ब्लाक मुफ्तीगंज, छितौना ब्लाक केराकत, पारापट्टी ब्लाक करंजाकला, आजाद पूर्व माध्यमिक विद्यालय आजाद नगर ब्लाक मुफ्तीगंज में आयोजित किया गया वहीं दिशा लर्निंग सेंटर में ग्राम सभाओं में समुदाय की महिलाओं - किशोरियों, युवाओं के साथ ही वरिष्ठ नागरिकों के साथ मिलकर भारत की प्रथम शिक्षिका माता सावित्री बाई फुले के साथ फातिमा शेख के जन्म दिन को हिन्दू - मुस्लिम एकता और सांझी विरासत के में रूप में दोनों समाज सुधारकों शिक्षिकाओं के जन्म दिन मनाया गया कार्यक्रम में सभी लोगों ने बढ़ - चढ़ कर हिस्सा लिया।
जयंती कार्यक्रम में जिले के सामाजिक कार्यकताओं, बुद्धिजीवियों, राजनीतिक कार्यकर्ताओं के साथ महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सावित्री बाई फुले और फातिमा शेख के जीवन संघर्षों पर विस्तार से प्रकाश डाला साथ महिला समानता की चुनौतियों को चिन्हित कर उसके समाधान में समाज की भूमिका तै करने पर पर बल दिया साथ वक्ताओं ने महिला समानता व उनके अधिकारों को स्थापित करने के लिए महिला नेतृत्व को बढ़ाने व महिलाओं को हर क्षेत्र में अपने अधिकार के लिए संघर्ष तेज करने पर बल दिया गया। अलग - अलग कार्यक्रमों में संविधान के मौलिक अधिकारों के साथ - साथ संवैधानिक मूल्यों को स्थापित करने के सतत प्रयास करने की जरूरत को महसूस किया जा रहा है।
दिशा फाउंडेशन के निदेशक लाल प्रकाश राही ने कार्यक्रम में अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सावित्री बाई फुले और फातिमा शेख के जन्म दिन को सांझी विरासत और हिन्दू मुस्लिम एकता के रूप में भी देखा जाना चाहिए, जब फुले दंपत्ति को उनके घर और गांव से निकाल दिया गया तो फातिमा शेख ने उन्हें सिर्फ अपने घर में रहने की जगह ही नहीं दी बल्कि स्कूल चलाने के लिए भी जगह दी और हर मुसीबत में उनके भाई उस्मान शेख और फातिमा शेख एक साथ खड़े रहे उनकी इस भूमिका को कभी नकारा नहीं जा सकता है जब भी सावित्री बाई फुले और ज्योतिराव फुले को याद किया जाएगा तब - तब फातिमा शेख और उस्मान शेख को याद करना पड़ेगा नहीं तो यह उनके प्रति ही अन्याय नहीं होगा बल्कि फुले के संघर्षों और उनके सामाजिक कार्यों के प्रति भी अन्याय होगा ।
इस अवसर पर डॉ अंगद राही, आफताब, श्रीमती नगीना देवी, जाह्नवी, पायल, साधना सिंह, हदिशुन निशा, सुरेन्द्र प्रताप, वीरेंद्र कुमार यादव, विवेक शर्मा, शुभम शर्मा, पूनम, समेत सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल रहें ।
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