Jaunpur News : हवन पूजन के साथ श्रीमद्भागवत कथा का हुआ समापन | Naya Savera Network
कथा व्यास ने बताया- भगवान श्रीकृष्ण की महिमा और भक्ति मार्ग के महत्व
शुभांशू जायसवाल
जौनपुर। नगर में अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) जौनपुर द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा का समापन अद्वितीय भक्ति और उत्साह के साथ हुआ। कथा व्यास कमल लोचन प्रभु जी अध्यक्ष इस्कॉन मीरा रोड-मुंबई एवं वापी-गुजरात ने समापन अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की महिमा और भक्ति मार्ग के महत्व पर विचार प्रस्तुत किए। कमल लोचन प्रभु जी ने कहा कि वैदिक साहित्य से ऐसा प्रतीत होता है कि जब कोई नाट्य कलाकार अनेक नर्तकियों के बीच नृत्य करता है, तो समूह नृत्य को रास नृत्य कहा जाता है। जब कृष्ण ने शरद ऋतु की पूर्णिमा की रात को विभिन्न मौसमी फूलों से सजी हुई देखा-विशेष रूप से मल्लिका के फूल, जो बहुत सुगंधित होते हैं तो उन्हें देवी कात्यायनी से गोपियों की प्रार्थना याद आ गई जिसमें उन्होंने कृष्ण को अपना पति बनाने के लिए प्रार्थना की थी। कथा व्यास ने कहा कि श्रीमद्भागवतम में प्रयुक्त विशिष्ट शब्द हैं योगमायाम उपाश्रितः, जिसका अर्थ है कि गोपियों के साथ यह नृत्य योगमाया के मंच पर है, महामाया पर नहीं। भौतिक जगत में युवा लड़के और युवतियों का नृत्य महामाया या बाह्य ऊर्जा के साम्राज्य में है। कृष्ण चेतना और भौतिक चेतना के बीच यही अंतर है। कथा यजमान के रूप में विवेक सेठ रहे। हवन पूजन के साथ श्रीमद्भागवत कथा का समापन हुआ। संयोजक डा. क्षितिज शर्मा ने सभी श्रद्धालुओं और सहयोगियों को धन्यवाद दिया। उन्होंने बताया कि शहर से लगभग 24 किलोमीटर दूर भीरा बाज़ार के पास कुंभ गाँव में 40 एकड़ के क्षेत्रफल में गोमती इको विलेज विकसित किया जा रहा जो जौनपुर को प्रदेश, देश और विदेश में आध्यात्म और पर्यटन के पटल पर एक प्रमुख पहचान देगा।
शुभांशू जायसवाल
जौनपुर। नगर में अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) जौनपुर द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा का समापन अद्वितीय भक्ति और उत्साह के साथ हुआ। कथा व्यास कमल लोचन प्रभु जी अध्यक्ष इस्कॉन मीरा रोड-मुंबई एवं वापी-गुजरात ने समापन अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की महिमा और भक्ति मार्ग के महत्व पर विचार प्रस्तुत किए। कमल लोचन प्रभु जी ने कहा कि वैदिक साहित्य से ऐसा प्रतीत होता है कि जब कोई नाट्य कलाकार अनेक नर्तकियों के बीच नृत्य करता है, तो समूह नृत्य को रास नृत्य कहा जाता है। जब कृष्ण ने शरद ऋतु की पूर्णिमा की रात को विभिन्न मौसमी फूलों से सजी हुई देखा-विशेष रूप से मल्लिका के फूल, जो बहुत सुगंधित होते हैं तो उन्हें देवी कात्यायनी से गोपियों की प्रार्थना याद आ गई जिसमें उन्होंने कृष्ण को अपना पति बनाने के लिए प्रार्थना की थी। कथा व्यास ने कहा कि श्रीमद्भागवतम में प्रयुक्त विशिष्ट शब्द हैं योगमायाम उपाश्रितः, जिसका अर्थ है कि गोपियों के साथ यह नृत्य योगमाया के मंच पर है, महामाया पर नहीं। भौतिक जगत में युवा लड़के और युवतियों का नृत्य महामाया या बाह्य ऊर्जा के साम्राज्य में है। कृष्ण चेतना और भौतिक चेतना के बीच यही अंतर है। कथा यजमान के रूप में विवेक सेठ रहे। हवन पूजन के साथ श्रीमद्भागवत कथा का समापन हुआ। संयोजक डा. क्षितिज शर्मा ने सभी श्रद्धालुओं और सहयोगियों को धन्यवाद दिया। उन्होंने बताया कि शहर से लगभग 24 किलोमीटर दूर भीरा बाज़ार के पास कुंभ गाँव में 40 एकड़ के क्षेत्रफल में गोमती इको विलेज विकसित किया जा रहा जो जौनपुर को प्रदेश, देश और विदेश में आध्यात्म और पर्यटन के पटल पर एक प्रमुख पहचान देगा।
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