Jaunpur News : ठंड में हुई बारिश से रहें सावधान, पशुओं का रखें ख्याल | Naya Savera Network
एएच अंसारी
केराकत, जौनपुर। कृषि विज्ञान केंद्र के पशुपालन वैज्ञानिक डॉ. अमित कुमार सिंह ने ठंड में होने वाली बारिश में पशु पालकों से पशुओं का विशेष ख्याल रखने की अपील की है। डॉ. सिंह ने बताया कि जैसे मानव ठंड से बचने के लिए बेहतर प्रबंधन नीतियां अपनाता है। उसी प्रकार शीत काल में पशुओं की, खासकर नए जन्मे बछड़े-बछड़ियों के बेहतर प्रबंधन नीतियों को अपनाना चाहिए। व्यसक गाय का शारीरिक तापमान 37.8-39.2° सेल्सियस होता है और बछड़े-बछड़ियों में 38.6-39.4सेल्सियस होता है। पशु 20 से 32 सेल्सियस तक के तापमान मे ठीक तरह से रह सकते हैं, लेकिन उससे ऊपर या नीचे का तापमान उनके लिए समस्या पैदा कर देता है। सर्दियों में अधिक ठंड लगने से हयपोथेर्मिया का ख़तरा अधिक हो जाता है, जिससे जानवर ज्यादा खाने लगते हैं, दूध की पैदावार और गुणवत्ता में गिरावट आ जाती है तथा शारीरिक स्थिति में गिरावट देखने को मिलती है। ऐसे जानवर कमजोर होकर अन्य बीमारियों की चपेट में भी आ सकते हैं। नवजात बच्चों मे निमोनिया का ख़तरा बढ़ जाता है। अधिक ठंड लगने के कारण उनकी मृत्यु भी हो सकती है।
डॉ. सिंह के अनुसार अधिक ठंड से बचने के लिए प्रबंधन नीतियां निम्नलिखित हैं-
हवा के बहाव को पशुओं के बाड़े मे आने से बोरीयों की कई परते लगाकर, बुना हुआ पुआल, इत्यादि लगक रोके। ठंड के कारण छत से टपकती बूँद से बचने के लिए छत पर पुआल या नमी सोखने के लिए सूखी पातियों का प्रयोग करें। अगर धूप हो तो ही पशुओं को कुछ देर के लिए बाहर जाने दें।
पशुओं का बाड़ा जितना हो सके सूखा रखें और फर्श के लिए पुआल या धान की भूसी को लगभग 15 सेमी तक बिछा ले। इससे जानवरो को फर्श से अतिरिक्त ठंड नही लगेगी।नवजात बच्चों के लिए अंगेठी अथवा हीटर जलाके गरमाहट प्रदान करें। यह शुरुआती 3 हफ़्तों तक जरूर करें।जानवरों को जूट की बोरियों से कपड़ो की तरह पहनाने से भी ठंड मे लाभ मिलता है।
जानवरो को सूखा रखें। दूध दूहने के बाद थनो को सूखे कपड़े से जरूर पोछलें।
जानवरो को हैंडपंप, पंप इत्यादि से ताज़ा पानी पीने को दें जिसका तापमान ठीक रहता है।पशुओं को दाने की मात्रा 10-20 प्रतिशत बढ़ा दें। और अधिक ठंड मे खाद्य तेल लगभग हर 100 किलो वजन पर 10 मीली प्रदान करें।
गुणवत्ता युक्त मीश्रित दाना तैयार करने के लिए किसान 40 प्रतिशत दाना (मक्का/ बाजरा), 30-32 प्रतिशत खली (सरसो/ सूरजमुखी इत्यादि), 20-25 प्रतिशत भूसी, 2 प्रतिशत मिनरल मिक्सचर और 1 प्रतिशत नमक का इस्तेमाल कर सकते हैं। सूखे पट्टेदार चारे को खिलाने से भी पशुओं को ऊर्जा प्रदान की जा सकती है।
केराकत, जौनपुर। कृषि विज्ञान केंद्र के पशुपालन वैज्ञानिक डॉ. अमित कुमार सिंह ने ठंड में होने वाली बारिश में पशु पालकों से पशुओं का विशेष ख्याल रखने की अपील की है। डॉ. सिंह ने बताया कि जैसे मानव ठंड से बचने के लिए बेहतर प्रबंधन नीतियां अपनाता है। उसी प्रकार शीत काल में पशुओं की, खासकर नए जन्मे बछड़े-बछड़ियों के बेहतर प्रबंधन नीतियों को अपनाना चाहिए। व्यसक गाय का शारीरिक तापमान 37.8-39.2° सेल्सियस होता है और बछड़े-बछड़ियों में 38.6-39.4सेल्सियस होता है। पशु 20 से 32 सेल्सियस तक के तापमान मे ठीक तरह से रह सकते हैं, लेकिन उससे ऊपर या नीचे का तापमान उनके लिए समस्या पैदा कर देता है। सर्दियों में अधिक ठंड लगने से हयपोथेर्मिया का ख़तरा अधिक हो जाता है, जिससे जानवर ज्यादा खाने लगते हैं, दूध की पैदावार और गुणवत्ता में गिरावट आ जाती है तथा शारीरिक स्थिति में गिरावट देखने को मिलती है। ऐसे जानवर कमजोर होकर अन्य बीमारियों की चपेट में भी आ सकते हैं। नवजात बच्चों मे निमोनिया का ख़तरा बढ़ जाता है। अधिक ठंड लगने के कारण उनकी मृत्यु भी हो सकती है।
डॉ. सिंह के अनुसार अधिक ठंड से बचने के लिए प्रबंधन नीतियां निम्नलिखित हैं-
हवा के बहाव को पशुओं के बाड़े मे आने से बोरीयों की कई परते लगाकर, बुना हुआ पुआल, इत्यादि लगक रोके। ठंड के कारण छत से टपकती बूँद से बचने के लिए छत पर पुआल या नमी सोखने के लिए सूखी पातियों का प्रयोग करें। अगर धूप हो तो ही पशुओं को कुछ देर के लिए बाहर जाने दें।
पशुओं का बाड़ा जितना हो सके सूखा रखें और फर्श के लिए पुआल या धान की भूसी को लगभग 15 सेमी तक बिछा ले। इससे जानवरो को फर्श से अतिरिक्त ठंड नही लगेगी।नवजात बच्चों के लिए अंगेठी अथवा हीटर जलाके गरमाहट प्रदान करें। यह शुरुआती 3 हफ़्तों तक जरूर करें।जानवरों को जूट की बोरियों से कपड़ो की तरह पहनाने से भी ठंड मे लाभ मिलता है।
जानवरो को सूखा रखें। दूध दूहने के बाद थनो को सूखे कपड़े से जरूर पोछलें।
जानवरो को हैंडपंप, पंप इत्यादि से ताज़ा पानी पीने को दें जिसका तापमान ठीक रहता है।पशुओं को दाने की मात्रा 10-20 प्रतिशत बढ़ा दें। और अधिक ठंड मे खाद्य तेल लगभग हर 100 किलो वजन पर 10 मीली प्रदान करें।
गुणवत्ता युक्त मीश्रित दाना तैयार करने के लिए किसान 40 प्रतिशत दाना (मक्का/ बाजरा), 30-32 प्रतिशत खली (सरसो/ सूरजमुखी इत्यादि), 20-25 प्रतिशत भूसी, 2 प्रतिशत मिनरल मिक्सचर और 1 प्रतिशत नमक का इस्तेमाल कर सकते हैं। सूखे पट्टेदार चारे को खिलाने से भी पशुओं को ऊर्जा प्रदान की जा सकती है।
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