Article : असली अपराधियों को दंड कब मिलेगा | Naya Savera Network
नया सवेरा नेटवर्क
मुम्बई महानगर के आस पास व उपनगरों में अवैध बाँधकाम होते रहे हैं,हो रहे हैं,और शायद आगे भी होते ही रहेंगे|जब तक असली अपराधी को दंडित नहीं किया जायेगा|मुम्बई महानगर में यदि देखा जाय तो अवैध बाँधकाम बहुत हुए हैं|रेलवे की जमीन पर एयरपोर्ट की जमीन पर और ऐसे ही बहुत सी सरकारी जमीनों पर भू-माफिया बीएमसी और पुलिस आदि की मिलीभगत से झोपड़े व लोडबैरिंग बिल्डिंगें खड़ी कर दी जाती हैं,और धड़ल्ले से बेंच भी दी जाती हैं|बीएमसी उन्हें घरपट्टी भी दे देती है और पानी भी|इक्ट्रीसिटी विजली की सप्लाई भी दे देती है|फिर बिल्डर जैसे ही सब बेंचकर फुरसत होता है,तब खेल शुरू होता है बसे हुए गरीबों के घरों को उजाड़ने का|
कुछ राजनीति के चलते वैध घोषित हो जाते हैं,तो कुछ तोड़ दिए जाते हैं|वैधता यदि देखी जाय तो इस समय सबसे बड़ा उदाहरण मलाड़ वेस्ट का मालवणी इलाका है|सभी अवैध कब्जे राजनीति के चलते वैध हो गये हैं|जबकी लगभग 90% मालवणी इलाका अवैध ही है|उसी की देखी देखा गरीब लोग लालच बस उपनगरों में अपने सपने को साकार करने के लिए भू-माफियायों औ सरकारी तंत्र की मिलीभगत के कारण फॕसककर अपनी जमा पूँजी यहाँ लगा रहे हैं|और बेचारे बरवाद हो रहे हैं|कुछ बच जाते हैं|उसी चक्कर में अधिकाधिक बेचारे खून के आँसू रोते हैं|पिछले वर्ष वसई ईस्ट के बोइदापडढ़ा में हजारों घर इसी ऋतु में तोड़े गये थे|तब लोग खून के आँसू रोये थे|बिल्डर वीवीएमसी पुलिस आदि के परिवार जिनकी छत्रछाया में वहाँ अवैध चालियाँ बनाई गई थी,उनका परिवार,वो सब मजे से मलाई खा रहे हैं आज भी|और जो खरीदा था उसका परिवार और वो दर दर की ठोंकरे खाने को मजबूर हो गया|जिसका वो कभी लोगों के बीच बैठकर रुवाब झाड़ता था|वही कुनीति के चलते झड़ गया|उनको न्यायालय से भी न्याय नहीं मिला|उल्टे न्यायालय भी झिड़की देकर भगा दिया|
आज पुन: वसई ईस्ट में वैसी ही परिस्थिति उत्पन्न हुई है|वसई ईस्ट अग्रवाल नगरी में लगभग पचासों लोड बैरिंग की बिल्डिंगे भू-माफियों ने बनाकर बेंच दी|लोगों के सपनों का घर दे दिए और लोग लालच में लेकर संतुष्ट भी थे,कि चलो बिल्डिंग में हमारा भी वन आरके वन बीएचके फ्लैट है|विगत 15,16 सालों से सपरिवार हंसी खुशी रह रहे थे|अचानक से पता नहीं कैसे माननीय अदालत ने उनके सुखमय जीवन को देख लिया|और ढहाने का आदेश सुना दिया|अब न्यायालय की अवमानना प्रशासन कैसे करे|तुरंत ऐक्टिव हुए और घर गिराने का नोटिस लोगों को थमा दिए|और हवाला दिए कि यह अवैध है|चलो मैं मानता हूँ कि अवैध है|तो 15,16 सालों से कहाँ थे|जब बिल्डिंग बन रही थी तब क्यों नहीं देखे|तब क्यों नहीं रोंके|यदि तभी नहीं बनने दिया गया होता तो आज गरीब जनता यूँ ठंढ के मौसम में अपने मासूम बच्चों को लेकर नहीं तड़पती|यदि तभी रोंक दिया गया होता तो अाज गरीबों का सपना यूँ चकनाचूर नहीं होता|
इसमें हमारी न्याय प्रणाली भी कम दोषी नहीं है|वह उनसे सवाल ही नहीं करती,जिनकी शह से अवैध बाँधकाम किए जाते हैं|उनको कभी दंडित ही नहीं करती जो अवैध काम करता है|जिस दिन न्यायालय उनको दंडित करना शुरू कर देगी,सभी अवैध बाँधकाम रुक जायेंगे|और यूँ आज की तरह गरीबों की खून पसीने की कमाई न बरवाद होगी|न यूँ उनके मासूम बच्चे ठंढ के मौसम में खुले आसमान के नीचे ठिठुरने के लिए विवश होंगे|
आज जो अग्रवाल नगरी में न्यायालय व प्रशासन द्वारा जुल्म ढाया जा रहा है,उसका असली दोषी कौन? यदि मुझसे कोई पूँछे तो,मैं कहूँगा वीवीएमसी और न्यायालय|क्योंकि जो भी अवैध बाँध काम होते हैं वीवीएमसी या बीएमसी उसमें बराबर की भागीदार होती है|और न्यायालय उन्हें संरक्षण देती है|न्यायालय गरीबों की पुकार नहीं सुनती|इसलिए न्यायालय भी दोषी है|न्यायालय कभी भी प्रशासनिक अधिकारियों ने नहीं पूँछती कि जब आप सब हैं तो अवैध बाँधकाम हुआ कैसे|उस पर से उसे घरपट्टी पानी विजली आदि मिली कैसे|जिस दिन न्यायालय यह पूँछना शुरू कर देगी,उसी दिन से अवैध बाँध काम रुक जायेगा|और गरीबों की दुर्दशा भी नहीं होगी|जिस दिन न्यायालय अवैध बाँध काम करने कराने वालों से वसूली करना शुरू कर देगी,उसी दिन से न्यायालय दोष मुक्त हो जायेगी|और गरीबों का सपना यूँ कुचला नहीं जायेगा|तब लोग सही जगह पर सही घर लेकर रहेंगे|यूँ अचानक से सड़क पर नहीं आयेंगे| भू-माफियाओं पर भी लगाम लगेगी और उनको शह देने वाले प्रशासनिक अधिकारियों पर भी लगाम लगेगी|
एक तरफ प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत शहरी और ग्रामीण भू-भागों में गरीबों को पक्की छत दी जा रही है|और दूसरी तरफ गरीबों की खून पसीने से बनायी गई छत उजाड़ी जा रही है|ऐसी विसंगति क्यों? इसका जवाबदार कौन? जब हम इस विषय पर मंथन करते हैं तो पाते हैं कि इन विसंगतियों का जवाबदार हमारा सम्विधान है|जिसका फायदा अपराधी उठा रहे हैं और निरपराध उसका दंड भुगत रहे हैं|आज कोई सम्विधान बचाने वाला इन गरीबों को बचाने के लिए आगे नहीं आ रहा है|सवाल उठता है कि आगे आयें कैसे|उन्हीं की शह पर तो अवैध बाँध काम महानगरों में फूले फले हैं|वो ही तो लालच देकर प्रोत्साहन देते रहे हैं|अवैध बाँध काम वालों से शक्ती से निपटने की वजाय प्रोत्साहित करते रहे हैं|ए सब हुआ सम्विधान के चलते|शातिर अपराधी सम्विधान की बारीकियों को समझते हुए गरीब जनता को दोनों हाँथ से लूट रहे हैं|और लाचार जनता केवल खून के आँसू बहा रही है|
न्याय की देवी आँख पर पट्टी बॕधी होने के कारण निरपराध लोगों को सजा दे रही हैं|जिसने लूटा वह तो ऐश कर रहा है सपरिवार|जो लुटा वह सजा भुगत रहा हैं सपरिवार|आर्थिक मांसिक और शारीरिक तीनो तरह से मारा जा रहा है|और गरीब गरीब चिल्लाने वाले गरीबों के मसीहा सब मजे से चाय की चुस्की के साथ आनंद में हैं|यहाँ गोस्वामी तुलसीदास जी की वह चौपाई बहुत सटीक बैठती है|
समरथ के नहिं दोष गोसाईं|
रवि पावक सुरसरि की नाई||
कहने का मतलब यह है कि समरथ के लिए सब सही है|और असमर्थ के लिए कुछ भी नहीं|
पं.जमदग्निपुरी