ग़ज़ल : जो कर सको सवाल आप अपने आप से | #NayaSaveraNetwork
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ग़ज़ल
जो कर सको सवाल आप अपने आप से
हो जाएगा मलाल आप अपने आप से
उगाता हो नया ही वहम बीज जिस तरह
तो जी ज़रा सँभाल आप अपने आप से
जो तंज कस रहे थे ज़ख़्म को उघाड कर
थे ऐसे हम ख़याल आप अपने आप से
है राख़ का ये ढ़ेर और इसपे ये गुरूर
हो बेवजह निहाल आप अपने आप से
ये सोच के जलेगी ये अँधेरे के ख़िलाफ़
ले ली बुझी मशाल आप अपने आप से
हैं कितना जान पाते आप औरतों का दुख
क्यों दे रहे मिसाल आप अपने आप से
वंदना
अहमदाबाद