Bareilly News : अनिल सिन्हा की अंकिता ओवरसीज को सरकार ने दिया तीन सितारा निर्यात हाउस का दर्ज | Naya Savera Network




निर्भय सक्सेना @ नया सवेरा 
बरेली। दिल्ली के अग्रणी निर्यात कारोबारी अनिल कुमार सिन्हा की कंपनी "अंकिता ओवरसीज" को भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय एवं विदेश व्यापार महानिदेशालय की ओर से तीन सितारा निर्यात हाउस का मान्यता प्रमाण जारी किया गया है। कई देशों में व्यापार करने वाली अनिल सिन्हा की कंपनी अंकिता ओवरसीज ने इस बार भी 500 करोड़ रुपए से अधिक का निर्यात कारोबार किया था। इसी क्रम ने भारत सरकार ने अंकिता ओवरसीज को तीन सितारा निर्यात हाउस का प्रमाण पत्र विगत दिनों जारी किया। समाजसेवी एवं कायस्थ समाज के अग्रणी कारोबारी  अनिल सिन्हा का कई देशों में कारोबार फैला हुआ हैं। भारत के गुजरात में उनका 110 एकड़ भूमि पर ग्रीन एनर्जी प्लांट लगाया हुआ है। जिसका सरकार से टाईअप है। अब अंकिता ओवरसीज दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग में भी 100 करोड़ की लागत से ग्रीन एनर्जी प्लांट लगाने पर वहां के उद्यमियों से वार्ता का दौर चल रहा है। जिसमें उम्मीद हे अगले वित्तीय वर्ष में उनकी योजना मूर्त रूप लेने की उन्हें उम्मीद है। जिससे जलवायु परिवर्तन की दिशा में भी उनका योगदान होगा। स्मरण रहे गत वर्ष 22 से 24 अगस्त 2023 में दक्षिण अफ्रीका के जोहानसबर्ग में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जाने वाले व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल में भी अनिल सिन्हा शामिल थे। गुजरात के  गांधीधाम के कच्छ में मजदूरों के लिए उन्होंने 14 कमरो  का निर्माण भी कराया। अंकिता ओवरसीज के चेयरपर्सन अनिल सिन्हा ने बताया की उनकी कंपनी दक्षिण अफ्रीका में लगभग 70 से 80 करोड़ का वार्षिक व्यापार करती है।

बरेली के कायस्थ चेतना मंच के वैवाहिक परिचय सम्मेलन, सुनील सक्सेना के क्रिकेट टूर्नामेंट में भी वह बरेली आते रहे हैं। बीते दिनों बरेली आने पर  उद्यमी एवम समाजसेवी अनिल सिन्हा का  कायस्थ चेतना मंच के संरक्षक रोटरी गवर्नर राजन विद्यार्थी के निवास पर अनिल कुमार एडवोकेट,  अध्यक्ष संजय सक्सेना, उपाध्यक्ष निर्भय सक्सेना, अखिलेश कुमार, महामंत्री अमित सक्सेना बिंदु एडवोकेट ने अंग वस्त्र, बुके  एवम मोमेंटो देकर उनका अभिनंदन किया था। अंकिता ओवरसिज के चेयर पर्सन अनिल सिन्हा ने कहा की  कायस्थ समाज अब नोकरी मांगने की जगह नोकरी देने वाला समाज बने। सरकार सूक्ष्म , लघु और मध्यम उद्यम (एम एस एम ई)  को बढ़ावा दे रही है। आप लोग भी लघु उद्यम लगाने में आगे आएं। कायस्थ समाज इस दिशा में आगे बढ़े। हम सब को कायस्थ होने पर गर्व होना चाहिए। मितुल विद्यार्थी एवम इशिता विधार्थी ने उनसे जी  एस  टी के बारे में कई सवाल पूछे जिसका अनिल सिन्हा ने जी एस  टी को उद्यम के लिए अच्छा बताया। उन्होंने राजेन विद्यार्थी के कार्यालय का भी अवलोकन कर उनके परिवार के स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने पर गर्व व्यक्त किया और शांति शरण विद्यार्थी के चित्र को नमन किया।   
 कभी बिहार के जिले में मंदिर के बाहर फूल बेचकर गुजारा कर अपनी पढ़ाई पूरी कर वी ए में विश्व विद्यालय में भी अनिल सिन्हा ने टॉप किया था। आज उन्ही अनिल कुमार सिन्हा का देश ही नहीं अन्य 18 देशों में भी कृषि उत्पाद के निर्यात का कारोबार फैला हुआ है। आज भी वह जमीन से जुड़े ही हैं और इतने सरल समाजसेवी हैं कि हर दुख सुख में वह असहाय लोगो की मदद  में भी कभी पीछे नहीं रहते। मूल निवासी भले ही वह बिहार के मुजफ्फरपुर के हों  पर बरेली में भी अनिल सिन्हा ने कई संस्थाओं की मदद, के साथ ही सामूहिक शादियों में भी अपना योगदान दे चुके हैं। अनिल सिन्हा माहेश्वर लक्ष्मी मेमोरियल फाउंडेशन  के साथ ही अंकिता ओवरसीज के भी कर्ताधर्ता हैं।  गरीबी में पले बढ़े हर व्यक्ति की अपनी कोई न कोई पुरानी यादें भी होती हैं। यही  परिचय है मध्यम वर्गीय परिवार के मुजफ्फरपुर, बिहार के निवासी रहे अनिल कुमार सिन्हा का।



अब अनिल कुमार सिन्हा दिल्ली में रहकर अंकिता ओवरसीज के मालिक भी हैं। उनका कारोबार भारत के अलावा 18 देशों में फैला हुआ है। अनिल जी ने मिलने पर अपने बारे में बताया की भारत में उदारीकरण के बाद भारत में जब 21वीं सदी में जब  व्यवसाय के नए आयाम स्थापित होने का दौर चल रहा था। उन्हीं दिनों में मेने (अनिल कुमार सिन्हा ने ) बिना किसी भारी-भरकम पूँजी के कृषि व्यवसाय के क्षेत्र में कदम रखा था और आज उनकी कंपनी अंकिता ओवरसीज कृषि उद्योग के क्षेत्र में अमेरिका, यूरोप, एशिया, अफ्रीका के देशों में एक जाना-पहचाना नाम है। वैसे तो उनके कारोबार की शुरुआत वर्ष 2000 के शुरुआती वर्षों हुई। पर उनकी कथा तो इससे पूर्व ही शुरू हो गई थी। बिहार के मुजफ्फरपुर शहर के एक छोटे से लड़के ने बिना किसी सहारे के अपने  पैरों पर खड़े होने का फैसला किया था। वह भी अपनी उम्र के दूसरे लड़कों की तरह हर काम के लिए अपनी माता-पिता पर आश्रित रह सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया क्योंकि उनके अंदर अपने पैरों पर खड़े होकर आत्मनिर्भरता की एक कहानी लिखने का जूनून था। 10 वर्षीय उस छोटे लड़के ने मंदिरों में फूल बेचकर, खुद को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास आरंभ किया था। जब उनके स्कूल के साथी मैदान में क्रिकेट और फुटबॉल खेल रहे होते थे, उस वक्त वो मंदिर की भीड़ में अपने हाथों में फूल लिए घूम रहे होते थे ।अपने हाथों से लिफाफा बना रहे होते थे। कचहरी में स्टाम्प पेपर बेचना हो या फिर पान की दुकान पर बैठना हो, उस छोटी उम्र में ही उन्होंने ऐसे बहुत से काम किए जिनके कारण उन्हें कभी भी किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना पड़ा। और सबसे बड़ी बात यह कि वह दूसरों की तरह उन मेहनत से कमाए हुए पैसों से चाट या चॉकलेट नहीं खाते थे बल्कि सड़कों पर बेसहारा दिखते लोगों की सहायता भी करते थे। हाईस्कूल तक पहुंचते-पहुंचते जब अनिल सिन्हा के मित्र दूसरों से ट्यूशन ले रहे थे, तब अनिल अपने से छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ा रहे होते थे। संघर्ष के साथ उन्हीं  गरीबी को भी करीब से देखने का उन्हे मौका मिला और उन्होंने उस खुशी को महसूस किया जो कि किसी जरूरतमंद की सहायता करने से हासिल होती है। अपने कमाए हुए पैसों से उन्होंने अपने शहर के एक रिक्शे वाले की बेटी की शादी में जनता घड़ी उपहार में देकर उस गरीब व्यक्ति की सहायता करने का प्रयास किया। यह वह निर्णायक घड़ी थी जिसने उनके अंदर परोपकार की भावना को जगाया। संभवतः उस घड़ी को लेते समय उस रिक्शेवाले की आँखों में जो खुशी थी, उसी ने अनिल सिन्हा के दिल में जरूरतमंदों की सहायता करने का जज्बा भर दिया था, जो आज भी कायम है। 
गरीब लड़कियों का विवाह सम्पन्न करवाने में माहेश्वर लक्ष्मी मेमोरियल फाउंडेशन के माध्यम से सहयोग कर रहे हैं। उनके व्यवसाय में उनकी पत्नी डॉ. नमिता अनिल हमेशा से ही उनके साथ खड़ी रही हैं और अंकिता ओवरसीज का नाम उनकी पुत्री अंकिता अनिल के नाम पर ही है। उन्होंने चावल और लीची के निर्यात से कारोबार आरम्भ किया और अब उनकी कंपनी इन उत्पादों की लगभग 43 किस्मों का निर्यात कर रही हैं। वर्तमान में अंकिता ओवरसीज का वार्षिक टर्न ओवर 30 मिलियन डॉलर से अधिक का है लेकिन कम्पनी अभी ठहरी नहीं है। कंपनी भविष्य में अंतरराष्ट्रीय बाजार में जैविक उत्पादों के सबसे बड़े निर्यातक के तौर पर खुद को स्थापित करना चाहती है। अंकिता ओवरसीज और उसके मालिक अनिल कुमार सिन्हा के लिए अभी जिंदगी के इम्तहान और भी है। लेकिन सबसे अच्छी बात यह है कि इन व्यवसायिक उपलब्धियों के बीच भी उन्होंने समाज सेवा के अपने उस सपने को जिंदा रखा हुआ है और गरीब की मदद भी करते हैं।

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