#Poetry: पौरुष से भरा-लौहपुरुष | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
पौरुष से भरा-लौहपुरुष
भारत के गुजरात प्रान्त,
"नडियाद" ग्राम रहा स्थान।
वल्लभ जी ने जन्म लिया,
31अक्तूबर 1875ई0 के दरमियान।।
बैरिस्टर बनने का ले सपना,
वे इंग्लैंड को किये प्रस्थान।
वापस लौटि स्वदेश वे आये,
सफल बैरिस्टर बने महान।
गाँधी के आदर्शों से प्रेरित हो,
स्वतन्त्रता संघर्ष में लगाये छलांग।
संयोजित कर किसान संगठन,
किये विरोध ब्रिटिश-कर भुगतान।।
हुए सफल इस काम में अपने,
गुजरात के नेता बने महान।
1920में राज्य की कांग्रेश कमेटी के,
अध्यक्ष पद की मिली कमान।।
565 रियासतों को एकल सूत्र पिरोये,
देश की एकता का किये उत्थान।
"भारत छोड़ो आन्दोलन के आयोजन,
प्रमुख नेताओं में से थे एक महान।।
रोक लगादी अंग्रेजी-सत्ता फहराने को,
अपने देश का झण्डा उस दरमियान।
दमनकारी कानून के विरोध में उतरे,
ब्रिटिसराज गई,आपका लोहा मान।।
"बारदोली" के विजय के कारण,
जुड़ा "सरदार" शब्द आपके नाम।
देश के दोहरे मंत्री गये चुने,
मंत्री➖गृह एवम उप-प्रधान।
लौह सरीखा दृढ़ दिल बचपन से,
एकदा एक फोड़े से थे वे हलकान।
तप्त लौह-कील चुभो दिये फोड़े में,
जरा शिकन न आई उनकी आन।।
आज देश की "स्टैच्यू ऑफ यूनिटी",
प्रतिमा सर्वोपरि सारे जहान।
अमर रहेगा जग में नाम तुम्हारा,
जिन्दाबाद रहेगा गुणगान।।
जय हिंद—जय भारत
कलमकार
विजय मेहंदी (कविहृदय शिक्षक)
प्रा. वि.मंगरी, बरसठी, जौनपुर।