#Poetry: बदलाव की हवा | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
बदलाव की हवा
मैंने कहा कि मुझको यूं ही छोड़ दीजिए
वो बोली पहले दिल तो मेरा तोड़ दीजिए
साथी यूं कोई साथ नहीं देता उम्र भर
सांसों के सिलसिले में सांस जोड़ दीजिए
दो शब्द मोहब्बत के भी जब हों न मयस्सर
रिश्ते फिजूल के हैं उन्हें तोड़ दीजिए
जिसने बनाया घोंसला वो दर-बदर हुआ
कौओं की सल्तनत का ताज फोड़ दीजिए
सागर को नहीं पालती सूखी हुई नदी
मरुथल में है पानी ये वहम छोड़ दीजिए
चलने दो हर तरफ अब बदलाव की हवा
धारा जो बह रही है उसे मोड दीजिए।।
-डॉ वागीश सारस्वत