#Poetry: डमरू छंद | #NayaSaveraNetwork
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डमरू छंद
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अगर आप को लगे कि अति कठिन डमरू घनाक्षरी छंद को भी इतनी सहजता से लिखा जा सकता है तो प्रतिक्रिया और आशीर्वाद तो बनता ही है।
दशरथ के आंगन में खेलते परम ब्रह्म
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मटकत चलत तनय लख दशरथ,
करतल करत भरत डग बहकत।
बहकत कदम परत पग डर-डर,
भवन सहन सब जन-जन हरसत।
हरसत कमल नयन धर बचपन,
भरत,लखन नरतन कर चहकत।
चहकत मदन बदन लख भगवन,
मन-मन हसत जगतवर मटकत।
सुरेश मिश्र
9869141831