#JaunpurNews : तत्त्वतः जीव ईश्वर का ही अंश है: प्रो. आरपी ओझा | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
जौनपुर। शनिवार को विजया दशमी के पावन अवसर पर पंडित चंद्रेश मिश्र पीठ के सम्मानित सदस्यों को मानस हंस प्रोफेसर (डॉ.) आरपी ओझा ने अपने वचनामृत से सिंचित किया। आज के संगोष्ठी का विषय था 'राम-रावण तत्त्वतः एक ही हैं'। इस विषय पर बोलते हुए मानस-हंस प्रोफेसर आर.पी. ओझा ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास महाराज ने मानस में उद्धृत किया है कि ईश्वर अंश जीव अविनासी, चेतन अमल सहज सुख रासी। तत्वत: जीव ईश्वर का अंश ही है बस ईश्वर की प्रबल माया जनित अविधा के कारण वह अपने स्वरूप का बोध नहीं कर पाता। रावण और कुंभकर्ण भगवान श्रीहरि के पार्षद थे जो श्रीहरि के ही समान चतुर्भुज रूप में वैकुंठ लोक में विद्यमान थे।
श्रीहरि की इच्छा से ही सनकादि ऋषियों द्वारा शापित होकर तीन जन्मों तक भूलोक पर अवतरित होते रहे और श्रीहरि ने उनके संहार और उद्धार के लिए तीन बार अवतार लिया। जैसे समुद्र की लहरें वायु विकार से समुद्र में उठती हैं और वायु विकार नष्ट होते ही केवल समुद्र ही रहता है वैसे ही श्रीहरि ही जीव के रूप में लीला करते हैं और माया जनित विकार के नष्ट होते ही सिर्फ और सिर्फ एक मात्र ईश्वर श्रीहरि ही रहते हैं। अतः तत्त्वतः रावण और राम एक ही हैं। गुरु कृपा से दिव्यदृष्टि पाने के बाद ही यह भेद मिटता है। जैसे गोस्वामी तुलसीदास का मिटा और उन्होंने संपूर्ण जगत को सीताराम मय जानकर प्रणाम किया।