#Article : समग्र शक्तियो की स्वरूप है मां शेरावाली | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
नवरात्र के मां के सभी अलग अलग स्वरूप अलग अलग शक्तियो के प्रतीक हैं और सिध्द रात्रि समग्र शक्तियो से सम्पन्न है। नवरात्र उत्सव में मां के अलग अलग नाम से उनकी पूजा विधि विधान से करने का चलन है। इस नवरात्र में किसी कन्या का जन्म हो तो उनका नाम देवी दुर्गा के नाम से रखने से उनके आध्यात्मिक शक्ति का अंश कन्या में आ जाता है। क्रमशः प्रथम दिन शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री माता के अलग अलग नाम हैं। माता के पहले स्वरूप में शैलपुत्री जो हिमालय पर्वत की बेटी हैं। पिछले जन्म में वह राजा दक्ष की पुत्री थी।
इस जन्म में उनका नाम सती भवानी था। जिनका विवाह भगवान शिव से हुआ। एक बार राजा दक्षा ने शिव को बिना बुलाये बडे यज्ञ का आयोजन किया और भगवान शिव को आमंत्रित नही किया। देवी सती वहां पहुंच गई और तर्क करने लगी।सती के पिता दक्ष ने पति शिव का अपमान जारी रखा जिससे क्रुध्द होकर यज्ञ कुण्ड में सती ने अपने को भस्म कर दिया ।दूसरे जन्म वह हिमालय की बेटी पार्वती हेमावती के रूप में जन्म लेती हैं और भगवान शिव से विवाह कर लेती हैं। उन्हें भ्रमाचारिणी मां दुर्गा के शान्ति पूर्ण रूप से भी जाना जाता है।
दुर्गा के दूसरे रूप ब्रह्माचारिणी रूप में पूजी जाती हैं। उनका यह रूप कठोर भक्ति एवं तप से प्राप्त है।जो उनके सुन्दर स्वरूप का प्रतीक है। उनके दाहिने हाथ में गुलाब और बाये हाथ में कमंडल है। कहानी है कि नारदमुनि की भविष्यवाणी के कारण मां पार्वती ने अपनी मां मेनका से कहा कि वह भोलेनाथ से विवाह करेगी अन्यथा कुंवारी ही रहेगी। यह बोल वह वन में कठोर तप के लिए चली गई। इसलिए उन्हें तपचारिणी ब्रह्मचारिणी भी कहा जाता है
उनकी तीसरी शक्ति का स्वरूप चन्द्रघंटा। शेर की सवारी करती हैं। माथे पर अर्ध चंद्र और बजती घंटी है उनका यह रूप आकर्षक और चमकदार है वह तीन आँखो और दस हाथो में हथियार पकड़े रहती हैं उनका यह सुनहरे स्वरूप में छवि भयावह व दुष्टो को डरावनी है। इस दिन मां की आराधना करते हुए दूध और मावे से बनी मिठाई का भोग अवश्य लगाए, धन और वैभव की प्राप्ति होती है।
मां का चौथा स्वरूप कुष्मांडा का है। वह ब्रह्माण्डीय निर्माता है उनका तेजोमय आभा दसो दिशाओ में फैली हुई है। सात प्रकार के हथियार उनके सातों हाथो में दिखाई देता है दाहिने हाथ में मुण्डमाला है वे शेर की सवारी में शोभायमान हैं।
देवी का पांचवा रूप स्कंद माता हैं। स्कंद माता हिमालय की पुत्री, उन्होने भगवान शिव से शादी कर ली। उनका एक बेटा था स्कंदा जो उनके गोद में बैठा रहता है। स्कंदा देवताओ का सेनापति था। देवी का यह रूप तीन आंख और चार हाथो वाली सफेद रंग में है। वह कमल पर बैठी रहती है और उनके दोनो हाथो में कमल रहता है।
कात्यायनी उनका छठा रूप है। वह कता नाम के संत ने उन्हें तपस्या से पुत्री की इच्छा लेकर प्राप्त किया। कालरात्रि उनका सातवां स्वरूप है। उनके बिखरे बाल और तीन उज्जवलआखें हैं जिनसे हजारो आग की लपटे निकलती रहती हैं।
उनका आठवा रूप महागौरी है ।जिनकी आराधना से सभी पाप नष्ट होते हैं। मां का नौवा रूप सिद्धिदात्री है। जिनकी आराधना से सब कुछ प्राप्त किया जाना सम्भव है।
कुमारी रानी ग्राम पंचायत,करौदी, जौनपुर।
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