#Poetry: शीत ऋतु में विरह वेदना | #NayaSaveraNetwork
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शीत ऋतु में विरह वेदना
बरसत बरफ पवन सन-सन कर,
थर-थर करत बदन परयक पर।
पर घर लखत भरत नयनन जल,
पल-पल कलपत करपत जस घर।
घर-घर बरत अगन जब वट तर,
तन मन जरत दसन कट-कट कर।
कर अब जतन सजन लख मम मन,
तरकश कसत मदन बरसत शर।
सुरेश मिश्र
9869141831