#Poetry: धुन-हँसते-हँसते जीना सीखो | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
हँसते-हँसते पढ़ना सीखो
हँसते-हँसते पढ़ना सिखो,
पढ़ते-पढ़ते बढ़ना।
जितनी शिक्षा,जीवन कल्याण की,
उतना तो तूँ सीखो ना।
हँसते-हँसते पढ़ना सीखो,
पढ़ते-पढ़ते बढ़ना।
हम तो एक हमारी,
बालवाड़ी प्यारी दुनिया है।
बस यही अनोखी,
अपनी न्यारी दुनिया है।
हम तो एक हमारी,
बालवाड़ी प्यारी दुनिया है।
गुणीयों से आबाद है,
अपनी बगिया का कोना-कोना
हँसते हँसते पढ़ना सीखो,
पढ़ते-पढ़ते बढ़ना।
जितनी शिक्षा,जीवन कल्याण की
अरे उतना तो तूँ सीखो ना।
हँसते-हँसते पढ़ना सीखो,
पढ़ते-पढ़ते बढ़ना।
बड़ी-बड़ी खुशियाँ हैं,
इन छोटे नौनिहालों में।
बड़ी-बड़ी खुशियाँ हैं,
इन छोटे नौनिहालों में।
नन्हें-मुन्ने तुम में छुपे,
मोती सी करामातों में।
बड़ी-बड़ी खुशियाँ हैं,
इन नन्हें नौनिहालों में।
ऐसा सुन्दर है ये उपवन,
जैसे सपनों का बिछौना।
हँसते-हँसते पढ़ना सीखो,
पढ़ते पढ़ते बढ़ना ।
जितनी शिक्षा,जीवन कल्याण की,
अरे उतना तो तूँ सीखो ना।
हँसते-हँसते पढ़ना सीखो,
पढ़ते पढ़ते बढ़ना।
व्यवधानों से मत रुक जाना राजा रानी।
व्यवधानों से मत रुक जाना राजा रानी।
राह में रोड़े आएगें,
होगी तुमको हैरानी।
पथ पर बढ़ते रहना तूँ ,
हिम्मत नहीं तू खोना।
हँसते-हँसते पढ़ना सीखो,
पढ़ते-पढ़ते बढ़ना।
जितनी शिक्षा,जीवन कल्याण की,
उतना तो तूँ सीखो ना।
हँसते हँसते पढ़ना सीखो,
पढ़ते पढ़ते बढ़ना।
हँसते हँसते पढ़ना सीखो,
पढ़ते पढ़ते बढ़ना।
गीतकार-
विजय मेहंदी(कवि-हृदय शिक्षक)
मड़ियाहूँ,जौनपुर(उoप्रo)
संपर्क सूत्र-91 98 85 22 98