#JaunpurNews : रास लीला और बाल लीला प्रभु की अद्भुत लीला : पं0 प्रवीण पाण्डेय | #NayaSaveraNetwork

गिरिराज पूजन कर इन्द्र का गर्व हरण व ब्रज मण्डल की रक्षा, राक्षसी पूतना का उध्दार



नया सवेरा नेटवर्क

जौनपुर। जौनपुर के खलीलपुर गाँव में चल रही पांचवे दिन श्रीमदभागवत कथा में   पं0 प्रवीण जी महराज ने गिरिराज पूजन व रास लीला पर विशेष  रूप से प्रकाश डाला जिसमे बताया  कि  रास लीला को जनसाधारण लोग काम की लीला मानते है जबकि भगवान की यह लीला असाधारण अद्भुत लीला है अर्थात काम पर विजय की लीला  है।  लाला के जन्म के बाद दर्शन  के लिए लोगो के आने का सिलसिला शुरू हो गया । दर्शन के लिए शंकर भगवान भी आए ,पूतना भी आई । इसके पूर्व ही बरसाने में राधेरानी प्रकट हो चुकी थी जिनसे  वृजभान जी ने कृष्ण के साथ विवाह पक्का भी कर नंद जी को भी इसकी बधाई दे चुके ।  कंस को घटना की जानकारी मिलने पर बाल हत्या के लिए भेजा । पूतना राक्षसी ने स्तन पर बिष लगाकर लाला को पिलाने चली लेकिन कृष्ण उसे माता का स्थान देकर उसका उध्दार करते है।स्तनपान के समय कृष्ण आखे बन्द कर पान कर रहे है ।पूतना वास्तविक स्वरूप में आ गई । अंत में पूतना का  भी उध्दार कृष्ण ने ही  किया।  कथा में आगे  गिरिराज पूजन की भव्य तैयारी व 56भोग भी भक्तो को  वितरित किया गया । कृष्ण जब छोटे थे तो उन्होने नंद बाबा से पूछा कि हमे इन्द्र की पूजा क्यो करनी चाहिए  ? बाबा का उत्तर था कि इन्द्र बर्षा करते है जिसके कारण खेती अच्छी होती है ।भगवान ने कहा हमे गिरिराज जी का पूजन करना चाहिए उनके कारण हम सुखी है ।गिरिराज पूजन से क्रोधित होकर इन्द्र  गिरिराज  क्षेत्र मे भयंकर बर्षा करते है भगवान ब्रज मंडल की रक्षा करते है और ब्रज वासियो के साथ गोवर्धन उठाकर ऊनकी तलहटी मे गौवो,व ब्रज वासियो को शरण देकर इन्द्र के कोप से बचा लेते हैं ।  कोई भी ब्रज मे आकर इन स्थलो का दर्शन कर सकते है । ठाकुर की कृपा से ही कोई वृन्दावन आ सकता है ।      कोई गलत परंपरा है तो विरोध कर  सही परंपरा बढाने चाहिए । एक बार कि बात है कि नंद बाबा  मध्य रात के बाद स्नान करने की भूल कर बैठै  जल देवता की नीद मे खलल देखकर उनके पार्षदो ने बाबा को पकड लिया  ।जब नंद बाबा घर नही आए तब खोजबीन शूरू हुई  कृष्ण ने बाबा को  जल देवता के यहा से छुडाया और बाबा को सभी तीर्थ को बुलाकर दर्शन दिलाया ।ब्रज मंडल में सभी तीर्थ को स्थान भी दिया गया है ।भगवान के धाम बस जाना तीर्थोका भाग्य उदय हुआ । कुछ मौके छोड़कर रात मे   नदी स्नान बर्जित है  किसी मृत्यु श्मशान भूमि  व संक्राति के अवसर छोडकर । ठाकुर जी से कोई भी सम्बंध बनाना चाहिए क्योकि सबंध निभाना उन्हे आता है। गोपियो ने भगवान के साथ  खूब नृत्य किया इसे रास लीला कहा । भगवान हर गोपी के साथ एक ही समय मे नृत्य करते हैं ।गोपी कोई और नही  वेद की ऋचाए  है  व संत महात्मा । कथा में कृष्ण की बाल लीलाए व माखनचोरी  दही हंडी के दृश्य लोगो को आकृष्ट कर रहे थे ।पितृपक्ष का समय होने के कारण जिनके घरो में पितृदोष है या पितर पूर्वज के लिए पिण्डदान का आयोजन चल रहा है  वे लोग  काले तिल का जल अर्पित कर  घर के मन्दिर में पूजन   करने के उपरांत ही  दिनचर्या करे और भोजन में उरद दाल  भी शामिल करे  जो पितरो को    व पक्षियो के रूप में कौवे को भी थाली में सजाकर घर के बाहर रखे  जिससे पितर प्रसन्न होकर अपनी संतति के कल्याण  का आशिर्वाद दे।इस समय के दान का बडा महत्व बताया गया है ,श्रध्दा पूर्वक अपने पूर्वजो के निमित्त दान अवश्य करे  । कथा के बीच बीच में भजन गायक शिवम व जोड़ीदार सुशांत ने सुमधुर वाद्य पर भजनो का श्रवण कराकर जनमानस का  दिल आनंदित कर दिया । देवेन्द्र श्रीवास्तव ने मीडिया प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की जिससे कार्यक्रम की शोभा बढ गई ।कथा 22 सितम्बर  रविवार को विश्राम  व  23 सितम्बर सोमवार भण्डारे महाप्रसाद  तक चलेगी ।सभी भक्तो को इस अवसर पर शाम 4 से 8 तक  भण्डारे में आकर पुण्य लाभ अवश्य उठाना चाहिए ऐसी अपील आयोजको एवं यजमान रामविलास सिंह की ओर से की गई है ।



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