#Article : दूर के ढोल सुहावन लागे | #NayaSaveraNetwork

नया सवेरा नेटवर्क

जब हम मुम्बई महानगर में थे तो सुनते थे कि यूपी में ये हो गया,यूपी में वो हो गया|यूपी में ये योजना चल रही है|यूपी में वो योजना चल रही है|यूपी में सड़कें चकाचक गड्ढामुक्त हो गई हैं|यूपी माफिया मुक्त हो गई|यूपी में अपराधी गायब हो गये|यूपी में महिलायें सुरक्षित हैं|कानून व्यवस्था चौकस है|


लेकिन विगत दस दिन से गाँव आया हूँ,उपरोक्त सभी बातें उस कहावत को साबित कर रही हैं,"दूर के ढोल सुहावने"|जब से आया हूँ विजली इतनी आँख मिचौली कर रही है कि 2012 जैसी स्थिति प्रत्यक्ष बनी हुई है|प्रति दिन विजली असमय कट जा रही है|जब जरूरत होती है तब विजली नदारद रहती है|न भोजन बनाने के समय रहती है,न भोजन करने के समय रहती है,न दोपहर में आराम करने के समय रहती है,न रात में सोने के समय रहती है|इस विजली का लोग क्या करें जो असमय आ जा रही है|यह विजली अनुपयोगी है|


इसी तरह सड़को की हाल है|हमारे मछलीशहर से बदलापुर की तरफ जाने वाली सड़क की हालत ऐसी है कि सड़क में गड्ढा है कि गड्ढा में सड़क|आदमी संसय में है|ए तो एक सड़क का हाल है|ऐसे ही अन्य सड़कों के हालात हैं|सरकारी पैसों का इतना दुरुपयोग तो हमने कहीं नहीं देखा,जितना यूपी में हो रहा है|गऊशालायें बनी हुई हैं,मगर गायें नदारद हैं|कचरा घर गऊशाला से मजबूत बना है|मगर उसमें एक भी कचरा नहीं है|जैसा कचराघर होना चाहिए,वैसा गऊशाला बना हुआ है|जैसा गऊशाला बनना चाहिए,वैसा कचरा घर बना हुआ है|देखकर उन इंजिनियरों और सरकारी कर्मचारियों की करतूतों पर हँसी आती है|उनकी बनाई हुई योजनाओं पर और सरकार की नीतियों पर हँसी आती है|और दुख होता है यह देखकर कि जनता का पैसा इस तरह से दुरुपयोग किया जा रहा है|एक तरफ जनता मंहगाई से तो वैसे ही त्रस्त है|ऊपर से इस तरह दुरुपयोग,समझ से परे है|

बहुत से गाँव में सरकारी हास्पिटल बनी हुई है|उसमें न डाक्टर आते हैं,न विल्डिंग की सुरक्षा ही हो रही है|न वहाँ दवा है|न डाक्टर|यह हम गरीबों के साथ छल है|दिखावे में हमारे पैसे की बरवादी सरकारें जानबूझकर कर रही हैं|जब सरकार डाक्टर की व्यवस्था नहीं कर पा रही है|बिल्डिंग के रखरखाव की व्यवस्था नहीं कर पा रही है तो हमारे पैसे की बरवादी न करे|बनी है हास्पिटल,उसमें नशेड़ी लोग अपना अड्डा बना लिए है|या तो कुछ लोग मवेशी बाँध रहे हैं|ऐसे ही कई सरकारी चीजें देखने को मिली हैं,जिसमें धन का केवल अपव्यय हुआ है|उसका कोई मतलब नहीं दिखा|यदि कार्य पूरा नहीं करना है तो,शुरू ही न किया जाय|क्योंकि अधूरे कार्य से पैसे की बरवादी होती है,और जनता के ऊपर मंहगाई के तौर पर भार पड़ता है|जिस सुविधा के लिए जनता का पैसा फेंका गया,न वो सुविधा मिली,ऊपर से मंहगाई उपहार में मिली|ए दोहरी मार जनता को न रोने दे रही है न हँसने| 

इसलिए सरकार से आग्रह है कि जनता को बेवकूफ बनाना छोड़े|जो भी करे उसे निष्ठापूर्वक हर हाल में पूरा कर जनता को समर्पित करे|जबतक कोई भी योजना सुदृढ़ न बने|उसपर काम ही न करे|जैसे हमारे यहाँ कचराघर  और गऊशाला दोनों आस पास ही बना है|कचराघर की बाऊण्ड्री लगभग 3 एकढ़ के क्षेत्रफल में है|और गऊशाला में लगभग दस गाय ही रखी जा सकती हैं|गऊशाला में कोई भी दिवाल नहीं है|न चारा रखने की व्यवस्था है|न गऊ का रखरखाव करने वालों की व्यवस्था है|दोनो ही अनुपयोगी है|जो जगह गऊशाला के लिए होनी चाहिए थी उसे कचराघर बना दिया गया है|जबकी गाँव में कचराघर अनुपयोगी है|उस जगह पर गऊशाला उपयोगी थी|जिसमें गाय की रखवाली करने वालों को रहने की व्यवस्था,चारा रखने की व्यवस्था,उनके मल को रखने की व्यवस्था और उनकी बिमारी दूर करने वाले डाक्टर की व्यवस्था बन सकती है|लेकिन पता नहीं किस दिमाग से काम किया गया है,समझ से परे है|इन क्रियाकलापों को देखकर बस एक ही बात समझ में आई कि "दूर के ढोल सुहावन लागे"|

पं.जमदग्निपुरी

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