डॉ. कृष्ण कुमार यादव विश्व के शीर्ष 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची में शामिल | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
पर्यावरण विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कृष्ण कुमार यादव ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, यूएसए और एल्सेवियर बीवी द्वारा जारी विश्व के शीर्ष दो प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची में लगातार तीसरी बार जगह बनाकर जिले, प्रदेश और देश का नाम गौरवान्वित किया है। इस रैंकिंग को वैश्विक स्तर पर अत्यधिक प्रतिष्ठित माना जाता है। यह सूची सितम्बर 2024 में प्रकाशित हुई, जिसमें स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, अमेरिका द्वारा हर साल विभिन्न विषयों में उत्कृष्ट शोध कर रहे वैज्ञानिकों का शोध प्रकाशनों की संख्या, गुणवत्ता और उद्धरण मैट्रिक्स के आधार पर मूल्यांकन किया जाता है।
वर्षों के अनुसंधान और प्रभावशाली योगदान तथा उत्कृष्ट कार्यों के प्रति समर्पित वैज्ञानिकों को ही शीर्ष 2 प्रतिशत में स्थान मिलता है। ध्यातव्य रहे कि अधिकांश वरिष्ठ वैज्ञानिकों के बीच डॉ. यादव ने एक युवा भारतीय वैज्ञानिक के रूप में यह उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। डॉ. यादव एक प्रख्यात वैज्ञानिक के तौर पर 8.5 लाख वैज्ञानिकों में विश्व के टॉप 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची में 38,197वां स्थान प्राप्त कर चुके हैं तथा पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्र में डॉ. यादव का 115,291 वैज्ञानिकों में से 728वां स्थान है, यह सम्मान उनके अनुसंधान और शिक्षा के प्रति समर्पण को दर्शाता है। उत्तर प्रदेश के जौनपुर के देहजुरी गांव में जन्मे डॉ. यादव का प्रारंभिक जीवन साधारण था, लेकिन उनके शोध और नवाचार के प्रति जुनून ने उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रमुख वैज्ञानिक बना दिया।
डॉ. यादव पिछले एक दशक से अधिक समय से पर्यावरण और रसायन विज्ञान के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। उन्होंने 250 से अधिक शोध आलेख, 7 पुस्तक अध्याय, 6 पुस्तकें और 3 पेटेंट प्रकाशित किए हैं। उनके शोध कार्यों का गूगल साइटेशन 10,891 है और उनका h-इंडेक्स 51 और i10-इंडेक्स 154 है। जो उन्हें अपने क्षेत्र के एक प्रमुख विचारक के रूप में स्थापित करते हैं। उनके पास जर्मनी में दो और यूके में एक पेटेंट हैं। ये पेटेंट उनके शोध कार्य को व्यावहारिक नवाचार में बदलने की क्षमता को दर्शाते हैं, जिससे उनका योगदान शैक्षणिक शोध से उद्योग की आवश्यकताओं तक पहुँचता है।
डॉ. यादव वर्तमान में कई प्रतिष्ठित शैक्षणिक पदों पर कार्यरत हैं। वह मध्यांचल विश्वविद्यालय, भोपाल में एसोसिएट प्रोफेसर हैं, जहाँ वे छात्रों की शैक्षणिक प्रगति में योगदान देने के साथ-साथ अपने शोध कार्य को भी आगे बढ़ा रहे हैं। इसके अलावा वे पारुल विश्वविद्यालय, वडोदरा (गुजरात) में एडजंक्ट प्रोफेसर के रूप में भी जुड़े हुए हैं, जहाँ वे शोध परियोजनाओं में सहयोग करते हैं और युवा शोधकर्ताओं का मार्गदर्शन करते हैं। साथ ही, वह अल-अयेन विश्वविद्यालय में शोध फेलो के रूप में अंतर्राष्ट्रीय शोध कार्यों में सक्रिय भागीदारी निभाते हैं। उनके ये संबद्धताएँ उनकी वैश्विक वैज्ञानिक प्रभावशीलता और प्रतिष्ठा का प्रमाण हैं। वे कई देशों जैसे साउथ कोरिया, पुर्तगाल, सऊदी अरब, मलेशिया, वियतनाम, यूके, अल्जीरिया, यूएसए और थाईलैंड के वैज्ञानिकों के साथ भी काम कर चुके हैं।
डॉ. यादव का शोध कार्य फ्लोराइड की समस्या और इसके स्वास्थ्य पर प्रभाव, अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन, जल प्रबंधन, और खाद्य पदार्थों से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं पर केंद्रित है। वे कैडमियम, क्रोमियम, आर्सेनिक और औद्योगिक अपशिष्टों के नकारात्मक प्रभावों पर भी अनुसंधान कर रहे हैं। यदि इन अनुसंधानों का सही तरीके से उपयोग किया जाए, तो पर्यावरण प्रदूषण से संबंधित समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की शीर्ष 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची में शामिल होकर, डॉ. यादव ने वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय में अपनी अद्वितीय पहचान बनाई है। उनका शैक्षिक शोध और नवीन कार्य न केवल वैज्ञानिक समुदाय को प्रभावित करता है, बल्कि अनेक छात्रों और शोधकर्ताओं को उत्कृष्टता के लिए प्रेरित करता है। उनकी उपलब्धियाँ जौनपुर से लेकर वैश्विक स्तर तक एक प्रेरणादायक यात्रा का प्रतीक हैं। उनका शोध कार्य न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे विश्व के वैज्ञानिक समुदाय के लिए गर्व का विषय है।
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