#Poetry: काहें फाने हउवा रार यहिं जवानी मा | #NayaSaveraNetwork
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काहें फाने हउवा रार यहिं जवानी मा
का मिले नदानी मा न?
लेउ लगल बा परान,
अब ले लगल नाहीं धान,
बा रुरात बियड़ि,तोहरी मेहरबानी मा
का मिले नदानी मा न?
चुवत अहइ घर-ओसार,
ताल बनल बा दुवार,
मेघा टर-टरात हउवें उहीं पानी मा
का मिले नदानी मा न?
बोलइ बागि मा कोयलिया,
लागे करेजवा म गोलिया,
जइसे छर्रा भरल होइ वोकरी बानी मा
का मिले नदानी मा न?
रतिया पूंछे ला सेजरिया,
कहिया अइहैं हो संवरिया,
कंगना ताना मारइ,रात कइ विरानी मा
का मिले नदानी मा न?
जेकरे सइयां जी हैं साथ,
हमसी करइं नाही बात,
रात-दिनवां लगल हउवें सब किसानी मा
का मिले नदानी मा न?
बितल जात बा सवनवां,
कबले करब्या पिय बहनवां,
जिनगी कइसे चले अइसन खींचातानी मा
का मिले नदानी मा न?
हरियरी बा अपने देश,
घरवा आवा हो सुरेश,
कऽ धरल बा उहां कुर्ला अउ कमानी मा
का मिले नदानी मा न?
सुरेश मिश्र