#LucknowNews: केशव प्रसाद मौर्य के सरकार से बड़ा संगठन पर फैसला सुरक्षित, इलाहाबाद हाई कोर्ट में हुई सुनवाई | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के सरकार से बड़ा संगठन वाले बयान के बाद से सियासी संग्राम मचा हुआ है। उनके इस बयान के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। वहीं, बुधवार को केशव के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। वकील सुनील सिंह ने कहा कि सरकार में रहकर सरकार का विरोध कैसे हो रहा है, उनका ये बयान गैर संवैधानिक है।
दरअसल, लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यूपी में मिली हार को लेकर लखनऊ में बीते दिनों बीजेपी की कार्यकारिणी की बैठक हुई थी, जिसमें उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सरकार से बड़ा संगठन को लेकर बड़ा बयान दिया था। जिसके बाद से यूपी की राजनीति गरमाई हुई है। इसके खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकील मंजेश कुमार यादव ने कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया कि संवैधानिक पद पर रहते हुए केशव प्रसाद मौर्य ने 14 जुलाई को सार्वजनिक रूप से एक बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा कि सरकार से बड़ा पार्टी का संगठन है। मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की है।
याचिका के मुताबिक, संवैधानिक पद की गरिमा और सरकार की पारदर्शिता के साथ ही शुचिता पर उनका यह बयान सवालिया निशान खड़े करता है। उसमें कहा गया कि इस बयान का न बीजेपी ने खंडन किया और न ही राज्यपाल और न चुनाव आयोग ने प्रतिक्रिया दी है। ऐसे में यह एक गंभीर मामला है। इस याचिका में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ दर्ज मुकदमों का भी जिक्र किया गया है। केशव के खिलाफ उपमुख्यमंत्री बनने से पहले के 7 आपराधिक मामले दर्ज हैं। तब भी इनकी नियुक्ति संवैधानिक पद पर हुई, यह गलत है। इसके साथ ही उनके आपराधिक मुकदमे में मिली जमानत को भी रद्द करने की मांग की गई थी।
संविधान के अनुसार , सरकार वही व्यक्ति बना सकता है जिसके पास सदन में विधायकों का बहुमत हो. बहुमत रखने वाला व्यक्ति बाकी मंत्रिमंडल का गठन करता है .
सरकार तभी तक कायम रहती है , जब तक उस व्यक्ति को बहुमत हासिल रहता है.इसीलिए सरकार केवल सदन के प्रति उत्तरदायी होती है न की पार्टी के प्रति .
केशव मौर्या ने बयान दिया था कि संगठन सरकार से बड़ा होता है .इस बयान का खंडन न तो पार्टी ने किया और न ही सरकार ने खंडन किया .सरकार और पार्टी के इसी मौन से दुखी हो कर जनहित याचिका दाखिल की गई थी . आम जनता का अधिकार है कि चुनी हुई सरकार शासन करे.
इस जनहित याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश कुमार सिंह दवरा चीफ जस्टिस के समक्ष की गयी लम्बी बहस के बाद मानयीय उच्च न्यायालय इलाहबाद ने फैसला सुरक्षित कर लिया है.
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