#NaviMumbaiNews: नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैयालाल की | #NayaSaveraNetwork
- गिरिराज पूजन का मार्मिक चित्रण व बाल लीला की अद्भुत झाँकी प्रस्तुत
राकेश सिंह @ नया सवेरा
नवी मुंबई। कोपरखैरणे लोहाणा समाज सभागार नवी मुम्बई मे चल रही भागवत कथा के पाँचवे दिवस मे नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैयालाल की व गिरिराज पूजन व बाल लीलाए दृश्य श्रोताओ के समक्ष झाँकी के द्वारा प्रस्तुत करलोगो को आकृष्ट कर लिया। कथा व्यास डाॅ0 संजय कृष्ण सलिल जी महराज (वृन्दावन) ने श्रोताओ का मन मोह लिया।
उक्त कथा के दौरान डा0 सलिल जी ने बताया मनुष्य जीवन के लिए तीन बाते अत्यंत दुर्लभ है, मानव शरीर पाना जो चौरासी लाख योनियो मे बडी मुश्किल एवं भाग्य से प्राप्त होता है।मनुष्य जीवन का क्या भरोसा? कब तक उसका जीवन रहेगा। मानव शरीर मिल जाने के पश्चात संत का संग मिलना, और ठाकुर की कथा का श्रवण व वाणी द्वारा कृष्ण नाम का जाप जिससे वाणी भी पवित्र हो जाती है। कथा मे आगे बताया कि नंद के घर गोकुल मे कृष्ण (माया के प्रभाव से गोकुल मे यशोदा मैय्या के पास सुला देने से प्रातः यह बात फैल गई कि यशोदा ने लाला को जन्म दिया है) व बरसाने मे वृजभान के यहा आल्हादित शक्ति राधे का जन्म। कृष्ण (लाला) के जन्म पर नंद के घर बधाई संदेश देने गोपियो के आना चलता रहा।
नंदबाबा बधाई देने वालो को महामना (उदार) सब कुछ लुटाने लगे ब्रजवासी उपहार लेते रहे। सूतक लगने से पहले (उपहार दान) यह सिलसिला चलता रहा। नंद बाबा की उम्र उस समय 80 वर्ष थी और यशोदा मैय्या 85 वर्ष की थी। इस उम्र मे लाला के जन्म पर दोनो को बधाई संदेश मिलने लगे। नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैयालाल की। कंस को पता चला कि यशोदा ने लाला को जन्म दिया है उसकी हत्या के लिए पूतना को भेजा। पूतना राक्षसी थी खूब सजकर लाला के दर्शन के लिए आई और अपनी गोदी मे लेकर वात्सल्य प्रेम करते स्तन पान कराने लगी। लाला ने ऑखे मूद ली और दुग्धपान करने लगे। पूतना के स्तन पर विष लेप था जिससे लाला की मृत्यु हो जाय। लाला के ऑखे खोलते ही पूतना वास्तविक रूप मे आ गई और पूतना भस्म हो गई।
आगे की कथा मे कृष्ण की बाल लीला का वर्णन आता है। माखन चोरी, गोपियो को नग्न स्नान पर कपडे छिपाना जैसी लीलाए कर समाज को सीख देते है कि नग्नस्नान बर्जित है। जब ब्रजवासी इन्द्र की पूजा करने चलते है तो कृष्ण ने नंदबाबा से पूछा कि इन्द्र की पूजा क्यो करे? नंद बाबा कहते है कि लाला इन्द्र वर्षा करते है जिससे पशु और मनुष्य को खेती से भोजन मिलता है। यह सुनकर कृष्ण कहते है कि बाबा इन्द्र की नही गिरिराज का पूजन (गोवर्धन की पूजा) करना चाहिए वही हमे सब कुछ देते। कृष्ण गोवर्धन की पूजा करवाते है जिससे क्रोधित होकर इन्द्र मूसलाधार बरसात कर सम्पूर्ण ब्रज मण्डल मे बाढ कर देते है। कृष्ण ब्रजमंडल व ब्रजवासियो को गोवर्धन पर्वत उठाकर रक्षा करते है। तब से गोवर्धन पूजन की प्रथा है। इन्द्र का गर्व हरण कर भगवान ब्रज मण्डल व ब्रज के लोगो की रक्षा करते हैं। कथा 10 को 4 से 7तथा 11 अगस्त को 11 से 1 तक चलेगी इसके बाद कथा भण्डारा 4 बजे तक रहेगा। यजमान कविता माथुर, सविता गुप्ता व तारकेश्वर राय ने भक्तो को समय पर आने का अनुरोध किया।