#Poetry: कागा बोलत अहइ अटरिया | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
कागा बोलत अहइ अटरिया
आजु मोरे बलमा अइहैं न।
पूरा करबइ तोर मंगनवां,
नाउनि रंगि दे गोड़ रंगनवां ,
रतिया चहके मोर सेजरिया,
आजु मोरे बलमा अइहैं न।
कागा बोलत ---------
करि ले ननदी साफ -सफइया,
तोहके हेरब निक-निक सइयां,
पुजवा कइ सजाइ ले थरिया,
आजु मोरे बलमा अइहैं न।
कागा बोलत-------
मालिन गजरा एक बना दे,
फुलवा से घर मोर सजा दे,
मह मह महकइ मोर बखरिया
आजु मोरे बलमा अइहैं न।
कागा बोलत-------
देवर जी जा तनिक बजरिया,
लइ आवा निक-निक तरकरिया,
आलू,गोभी,अउर मटरिया,
आजु मोरे बलमा अइहैं न।
कागा बोलत-------
चुरिहारिन कऽ केउ बोलवावा,
मोर कलाई भरि पहिनावा,
सासू अम्मा जिनि द्या गरिया,
आजु मोरे बलमा अइहैं न।
कागा बोलत-------
जिउ भरि पिय के आजु खियउबइ,
बेना हांकि-हांकि बतियउबइ,
सखिया लगि ना जाइ नजरिया,
आजु मोरे बलमा अइहैं न।
कागा बोलत-------
सेन्हुर, टिकुली,काजर,लाली,
हे दरबेसिन दइ द हाली,
हमके चाही लाल चुनरिया,
आजु मोरे बलमा अइहैं न।
कागा बोलत-------
हमरे पिय सुरेश जब अइहैं,
रतिया-रतिया भर बतियइहैं,
सुनबइ जिउ भरि नई कजरिया
आजु मोरे बलमा अइहैं न।
कागा बोलत-------
सुरेश मिश्र