नया सवेरा नेटवर्क
विगत कई वर्षों से हमारे भारत में कई ऐसी घटनायें देखने व सुनने पढ़ने को मिल रही हैं,जो कि मानव मन को अंदर तक झकझोर दे रही हैं|मानव इतना हिंसक हो गया है कि उसकी करतूतों को देख सुनकर व पढ़कर रक्त धमनियाँ सुन्न हो जा रही हैं|शरीर में सिहरन पैठ जा रही है|आम जन असुरक्षा का जीवन जीने को मजबूर होता जा रहा है|आमजन सोंचने पर विवश होता जा रहा है कि पता नहीं कब किन क्रूर हाँथों से अपनी इस शरीर की दुर्दशा हो जाय|स्थित बहुत भयावह बनती जा रही है|जब निर्भया काण्ड दिल्ली में हुआ था,तब हमी लोग बहुत चिल्ल पों मचाये थे|तत्कालीन सरकार ने आधा अधूरा शक्त कानून बनाया था|तत्कालीन विपक्ष भी सड़क से लेकर संसद तक खूब बवाल काटा था|तब ऐसा लग रहा था कि आगे अब ऐसे विभत्स नजारे देखने सुनने पढ़ने को नहीं मिलेंगे|तब का विपक्ष आज सत्तासीन है|इसने उस नियम को और कठोर बनाया|इसके बावजूद भी देश में कई निर्भया जैसे कांड हुए|कई कैंडल जलूस फिर निकले|नतीजा फिर भी जस का तस या यूँ कहें कि अधिक सुनने पढ़ने को मिल रहे हैं|आये दिन ऐसी ऐसी घटनायें देखने सुनने पढ़ने को मिल रही हैं,कभी 35 टुकड़ों में तो कभी क्षत विक्षत लाशें मिल रही हैं|तो कभी छोटी छोटी बच्चियों के साथ सामूहिक बलात्कार की घटनायें आये दिन देखने सुनने पढ़ने को मिल रही हैं|
मानव इतना उछृंखल क्यों हो गया है|पशुवत व्यवहार में क्यों लिप्त होता जा रहा है|किसकी पूर्ति के लिए रूह को कॕपा देने वाला नित नये कृत्य कर रहा है|जिस तरह का व्यवहार आज मानव कर रहा है,ऐसा लग रहा है जैसे हम आधुनिक नहीं आदम युग में जा रहे हैं|हममें मानवता कम आसुरी संस्कृति बढ़ती जा रही है|यह कुसंस्कृति कहाँ से और कैसे मानव मन में पैठ बनाती जा रही है,इस विषय पर सभी प्रबुद्ध जनो और विशेष कर नीति निर्माताओं और सरकार को गहनता से विचार करना होगा|और उस पर इमानदारी पूर्वक काम करना होगा|और अपराधी को अपना और उसका वाली प्रवृत्ति से देखना बंद करना पड़ेगा|
अभी ताजी ताजी घटना उत्तरप्रदेश के उस स्थान से आई है|जहाँ हमारे श्रीराम जी स्थापित हुए हैं|घटना सुनने के बाद दिमाग चकरघिन्नी हो गया|एक मासूम 12 वर्ष की कन्या के साथ लगातार महीनो सामूहिक बलात्कार होता रहा,और किसी को पता तक नहीं चला|कन्या जब गर्भवती हुई तब बात सामने आई|सुनकर ही दिमाग सुन्न हो गया|कितनी पीड़ा उस बच्ची ने सहा होगा|और किस पशुता के साथ उन दरिदों ने उसे तड़पाया होगा,कल्पना मात्र से रक्त धमनियाँ सुन्न हो जा रही हैं|यह विभत्स कांड उस प्रदेश में हुआ है|जहाँ ऐसे जघन्य कृत्य के लिए त्वरित कार्यवाई होती है|अपराधी को कठोर सजा दी जा रही है|फिर भी ऐसे विभत्स कांड आये दिन पढ़ने सुनने को मिल रहे हैं|तो सोंचना पड़ेगा कि कमी कहाँ रह जा रही है|लखनऊ की घटना तो और भयावह देखने को मिली|कुछ दुष्ट प्रवृत्ति के जानवर टाईप के युवा बरसात में सार्वजनिक तौर पर युवती के साथ बद्तमीजी किए|यह सब देखकर ऐसा लगता है जैसे लोगों में कानून का भय ही नहीं है|कानून को जैसे लोग अपनी रखैल बनाकर घूम रहे हैं|
अभी हाल की एक विभत्स घटना जमदग्निपुरम (जौनपुर) के महराजगंज सलेमपुर गाँव की है|पूर्व सिक्रेटरी के भाई के लड़के नन्हकऊ मिश्र जी की जिस निर्मम तरीके से हत्या की गई है|वह कई सवाल खड़े कर रही है|आदमी इतना निर्मम भी हो सकता है|सोंचकर आदमी होने पर घिन आ रही है|जिस क्रूरता के साथ दरिन्दों ने उनकी हत्या की है वह किसी भी तरह से क्षमा करने योग्य नहीं है|उनकी मृत शरीर को देखकर ऐसा मन में उबाल उठ रहा है कि काश वो दरिन्दे मिल जाते तो ऐसी सजा देता की अपराधी अपराध करने से पहले लाखों बार सोंचते|लेकिन ऐसा होगा नहीं,और शायद मानव मन ऐसा करने भी नहीं देगा|उपरोक्त कृत्य पाशविक है|और उस सरकार को ललकार रही है कि तुम चाहे कितने भी बुलडोजर चलवा दो,हम अपने पाशविक व्यवहार में परिवर्तन नहीं लायेंगे|
ऐसा इसलिए की हमारे देश की राजनीति इतनी घटिया स्तर पर चल रही है कि अनुपमीय है|हमारे राजनेता जाति धर्म को देखते हुए अपराध और अपराधी तय कर रहे हैं|सभी अपने अपने को बचाने में तल्लीन हैं|जो इंडी गठबंधन बार बार मणिपुर की घटना को प्रचारित कर रहा है|वही संदेशखाली व अन्य जगहों पर जहाँ उनकी सरकारे हैं वैसे ही कृत्य पर मौन हैं|वही हाल राजग गठबंधन का भी है|वह भी अपने राज्यों के कुकृत्यों पर पर्दा डालती फिर रही हैं|इंडी गठबंधन यदि सवर्ण के साथ कुछ भी होता है तो मौन साध लेती हैं|मगर इसबार फैजाबाद से जो खबर आई है वह इंडी गठबंधन की बखिया उधेड़ रही है|
दलित हितैषी की खाल उसके ऊपर से खींच रही है|क्योंकि इंडी गठबंधन का ही अल्पसंख्यक सिपाही इस कुकर्म को अंजाम दिया है|दुखद बात यह है कि अत्याचार करने वाला अल्पसंख्यक,सहने वाली दलित,और वहाँ सांसद भी दलित ही है|इसलिए इतनी निर्मम घटना को वहीं के सांसद ऐसे बयान कर रहे हैं|जैसे कुछ हुआ ही न हो|यही लोग मणिपुर मणिपुर आज भी कर रहे हैं|लेकिन नाक के नीचे की घटना उन्हें जैसे इसका कुछ पता ही न हो|क्योंकि करने वाला उनका वोट बैंकर है|यही यदि कोई सवर्ण होता,तब इंडी गठबंधन वालों की दशा अंधे के हाँथ बटेर वाली होती|और बर्तमान सरकार दलित विरोधी हो जाती|यही स्थिति अपराधियों को अपराध करने के लिए प्रेरित कर रही है|और विभत्स कृत्य करने के लिए उनके मनोबल को बढ़ा रही है|इसमें हमारी न्याय व्यवस्था भी बराबर की जिम्मेदार है|
आज कल देखने में यह आ रहा है कि पुराने अपराधी जो नामचीन थे,वे सब तो भूमिगत हो गये हैं|उनकी जगह नये अपराधियों की पौध बड़ी तीब्र गति से उग रही है|इस नई पौध को सरकार को चाहिए कि किसी भी कीमत पर पनपने न दे|मगर ये तेजी से पनप रहे हैं|और सरकार के लिए चुनौती पेश कर रहे हैं|खासकरके उत्तर प्रदेश में|जहाँ के शासक की हनक विदेशों तक गूँज रही है|वही पर अपराधी इतने बेखौफ हैं कि वर्णन नहीं कर पा रहे|
जिस तरह से लखनऊ की घटना देखने को मिली,जिस तरह से अयोध्या की घटना को अंजाम दिया गया|और जिस निर्मम तरीके से सलेमपुर महराजगंज जौनपुर के निवासी नन्हकऊ मिश्र जी की हत्या की हुई,वह यह बताने के लिए काफी है कि अपराधियों में कानून का भय नहीं है|यह स्थिति बहुत ही भयावह होती जा रही है|न्यायव्यवस्था को इस पर गहन मंथन करना होगा|कि आखिर इतने कठोर नियम होने के बाद भी अपराधी अपराध करने से बाज क्यों नहीं आ रहे|आखिर शासन प्रशासन से कहाँ चूक हो रही|जो लोगों में पशुता हावी हो रही है|मानवता खत्म हो रही है|क्या कमी है कि युवा संवेदनहीन हो रहे हैं|कहीं आधुनिक शिक्षा का प्रभाव तो नहीं|या हमारे संविधान में ही कहीं खोट है जिसके चलते अपराध कम होने की वजाय और तीब्र गति से बढ़ रहे हैं|
और सभ्य समाज के मुँह पर बदनुमा दाग बन रहे हैं|यह सब देखने सुनने पढ़ने के बाद यह कहने पर विवश होना पड़ रहा है कि ये क्या हो रहा है,बुद्ध तेरे देश में|क्या तूने मानव को यही संदेश दिया कि मानवता को छोड़कर तूँ पशु बन जा|क्या यही तुम्हारी अहिंसा है जिसका गुणगान गाते लोग थकते नहीं|यही सवाल योगी से भी है कि ये क्या हो रहा है तुम्हारे प्रदेश में|राम कृष्ण और शिव की नगरी से ऐसे विभत्स संदेश पढ़ने देखने को क्यों मिल रहे हैं|क्या कमजोरी है जो ऐसे दुर्दांत अपराधी तुम्हारे ही प्रदेश में पल रहे हैं|और विभत्स कृत्य मानव मन को हिला देने वाले कांड आये दिन हो रहे हैं|
पं.जमदग्निपुरी