#NaviMumbaiNews: रास लीला काम पर विजय की लीला है: डा. संजय महराज | #NayaSaveraNetwork
नवी मुंबई। श्रीमदभागवत भागवत कथा के षष्ठम दिन डा. संजय कृष्ण सलिल जी महराज ने गिरिराज पूजन व रास लीला पर विशेष रूप से प्रकाश डाला जिसमे बताया गया कि रास लीला को जनसाधारण लोग काम की लीला मानते है जबकि भगवान की यह लीला असाधारण लीला है अर्थात काम पर विजय की लीला है। यह उन्होने कोपरखैरणे सेक्टर 10 लोहाणा समाज सभागार में श्रीमदभागवत कथा के दौरान व्यक्त की। एक बार कि बात है कि राजा, व्यापारी, पंडित जी, मजदूर स्वर्ग के दरवाजे पर स्वर्ग में जाने को तैयार थे। राजा से पूछा गया कि आपने ऐसा कौन सा काम किया है कि स्वर्ग में प्रवेश करे। राजा का उत्तर था कि मैने प्रजा के लिए बहुत से काम किये स्वर्ग के दरवाजे मे मुझे प्रवेश मिलना चाहिए। दूतो ने कहा कि आप स्वर्ग के अधिकारी नही है।
क्योकि राज्य विस्तार के समय युद्ध में आपने कई सैनिको के परिवार को नुकसान पहुंचाया कई सैनिक मारे गये कई विधवाये हुई। व्यापारी का जबाब था कि आपको दान करने का अभिमान था। पंडित जी ने कहा हमने भगवान की खूब पूजा की है। मजदूर ने कहा कि हमने परिवार व माता पिता की सेवा की है। एक बार मैने खाते वक्त भूखे कुत्ते को भोजन दिया है। दूत ने मजदूर के इसी पुण्य के कारण उसे स्वर्ग मे प्रवेश दिया। तात्पर्य है कि अपनी नेक कमाई से जरूरत मंद के काम आना चाहिए ऐसे दान भगवान के यहा पुण्य माने जाते है। इसलिए सदैव अपने साथ साथ दूसरो के लिए भी कुछ सेवा देनी चाहिए। इस कथा का उद्देश्य भी भक्ति के साथ साथ सेवा भी है।
गृहणी महिलाए थोडा थोडा जमा करके ऐसे नेक काम कर भी रही हैं। गिरिराज पूजन की भव्य तैयारी व 56भोग भी भक्तो को वितरित किया गया। कृष्ण जब छोटे थे तो उन्होने नंद बाबा से पूछा कि हमे इन्द्र की पूजा क्यो करनी चाहिए? बाबा का उत्तर था कि इन्द्र बर्षा करते है जिसके कारण खेती अच्छी होती है।भगवान ने कहा हमे गिरिराज जी का पूजन करना चाहिए उनके कारण हम सुखी है। गिरिराज पूजन से क्रोधित होकर इन्द्र गिरिराज क्षेत्र मे भयंकर बर्षा करते है भगवान ब्रज मंडल की रक्षा करते है और ब्रज वासियो के साथ गोवर्धन उठाकर ऊनकी तलहटी मे गौवो, व ब्रज वासियो को शरण देकर इन्द्र के कोप से बचा लेते हैं। कोई भी ब्रज मे आकर इन स्थलो का दर्शन कर सकते है।
ठाकुर की कृपा से ही कोई वृन्दावन आ सकता है। कोई गलत परंपरा है तो विरोध कर सही परंपरा बढाने चाहिए। एक बार कि बात है कि नंद बाबा मध्य रात के बाद स्नान करने की भूल कर बैठै जल देवता की नीद मे खलल देखकर उनके पार्षदो ने बाबा को पकड लिया। जब नंद बाबा घर नही आए तब खोजबीन शूरू हुई कृष्ण ने बाबा को जल देवता के यहा से छुडाया और बाबा को सभी तीर्थ को बुलाकर दर्शन दिलाया। ब्रज मंडल में सभी तीर्थ को स्थान भी दिया गया है।
भगवान के धाम बस जाना तीर्थोका भाग्य उदय हुआ। कुछ मौके छोड़कर रात मे नदी स्नान बर्जित है किसी मृत्यु श्मशान भूमि व संक्राति के अवसर छोडकर। ठाकुर जी से कोई भी सम्बंध बनाना चाहिए क्योकि सबंध निभाना उन्हे आता है। गोपियो ने भगवान के साथ खूब नृत्य किया इसे रास लीला कहा। भगवान हर गोपी के साथ एक ही समय मे नृत्य करते हैं। गोपी कोई और नही वेद की ऋचाए है व संत महात्मा। कथा 11 अगस्त को विश्राम व भण्डारे महाप्रसाद तक चलेगी।सभी भक्तो को इस अवसर पर 11 से 1 कथा श्रवण व 1 से 4 बजे भण्डारे में आकर पुण्य लाभ अवश्य उठाना चाहिए ऐसी अपील आयोजको की ओर से की गई है।