#Poetry: "दर्ज होगा" | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
"दर्ज होगा"
आप
चाहें तो
राधे-राधे
बोलकर
प्रेम को सात्विक कह लें
सत्य मान लें
अन्यथा
रंडी कहकर
कालिख पोतकर
गले में जूतों की माला पहनाकर
सिर मुंडाकर
अपनी सभ्यता की
संस्कृति गाथा लिख दें
दर्ज होगा इतिहास में
पंडाल
में महिमामंडन का ढोंग
यथार्थ को
न स्वीकार पाने की कुंठा
स्त्री का स्वतंत्र आस्तित्व
आपको बर्दाश्त नहीं होता
आप पिल पड़ते हैं
अपने को श्रेष्ठ साबित करने में
और धड़ाम से मुँह के बल गिरते हुए
मन की मैल छप जाती है चेहरे पर...
वंदना
सीनियर रिसर्च स्कॉलर
अहमदाबाद