#Poetry: घट-घट तट-तट कण-कण हर क्षण | #NayaSaveraNetwork
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घट-घट तट-तट कण-कण हर क्षण
रमत बसत अनवरत नमन कर।
हरत जगत तम भरत चमक मन,
अस नगरज पर सतत नमन कर।
अगन,गगन, थलचर सब हरषत,
सकल अमर घर लखत नमन कर।
प्रथम अरज जग करत गजबदन,
घर-घर करतल बजत नमन कर।
सुरेश मिश्र