#VaranasiNews: संकुचित जीवन दृष्टि मृत्यु का कारण बनती है : अनुपम नेमा | #NayaSaveraNetwork
- हमें हिन्दी पर गर्व होनी चाहिए, स्वाधीनता आंदोलन में समूचे देश को जोड़ने वाली भाषा बनी थी हिंदी : वशिष्ठ अनुप
- बीएचयू के हिंदी विभाग में पांच दिवसीय नव प्रवेशी अभिविन्यास कार्यक्रम का समापन
सुरेश गांधी @ नया सवेरा
वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के तत्वावधान में आयोजित पांच दिवसीय नव प्रवेशी अभिविन्यास कार्यक्रम का सफलता पूर्वक समापन हो गया। इस मौके पर विश्वविद्यालय के लगभग सभी विभागों के पदाधिकारियों से रूबरू होने का अवसर विधार्थियों को मिला।
समारोह के मुख्य अतिथि एवं छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. अनुपम नेमा ने विश्वविद्यालय द्वारा चलाई जा रही विभिन्न छात्रवृत्ति, सांस्कृतिक कार्यक्रमों एचं छात्रावासों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सकारात्मक चीजों का खुलकर समर्थन करें और नकारात्मकता को नजरअंदाज। उन्होंने कहा कि आज के बदलते परिवेश में विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ- साथ मनोरंजन के कार्यक्रमों में भाग लेना चाहिए। राष्ट्रीय सेवा योजना के पूर्व समन्वयक डॉ. बाला लखेंद्र ने कहा कि संप्रेषण अच्छा होना आवश्यक है। खासकर आपके जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है। आप समूह में रहे और अपना विस्तार करें, क्योंकि संकुचित जीवन दृष्टि मृत्यु का कारण बनती है।
हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. वशिष्ठ अनूप ने विद्यार्थियों का स्वागत करते हुए कहा कि इन पांच दिनों में आपको बहुत सारी जानकारियां प्राप्त हुई होगी। बाकी अब जैसे- जैसे क्लासेज में अध्यापकों से रूबरू होंगे तो और भी बहुत सारा बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। लोक जीवन, अपना संस्कार, अपनी भाषा को कभी मत भूलिएगा। आपका लोक संस्कार, लोक जीवन का अनुभव जितना गहरा होगा उतने ही आप बड़े होंगे, समृद होंगे। हिंदी पर आपको गर्व होना चाहिए, यह हमारी स्वाधिनता संग्राम की भाषा है। इसमें बहुत सारा रोज़गार इसमें उपलब्ध है। हिंदी हम पढ़ते है, यह हमारे लिए गर्व की बात है। स्वाधीनता संग्राम के समय समूचे देश को आपस में जोड़ने वाली सबसे सशक्त संपर्क भाषा बन गई थी। उस दौर के सभी नेताओं का मानना था कि अगर कोई भारतीय भाषा देशवासियों को एकजुट करने में सहायक बन सकती है तो वह हिंदी ही है। उन्होंने कहा कि संस्कारों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है। यदि संस्कार न हों तो हमारी सामाजिक जिम्मेदारियां और सामाजिक भागीदारी शून्य होगी। उन्होंने बताया कि शिक्षा से मनुष्य के मस्तिष्क की शक्तियों का जागरण होता है। संस्कारों से हृदय का अंधकार दूर होता है और श्रेष्ठ सज्जनों की संगति से उत्तम कार्य होते हैं।
प्रो. सत्यपाल शर्मा ने बीएचयू के निर्माण में मालवीय जी के योगदान का जिक्र करते हुए छात्र और राजनीति के संदर्भ में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गांधी जी के बंदर बन के मत रहिएगा। अपने विवेक का प्रयोग करने में ज्यादा विश्वास करना। प्रो. प्रभाकर सिंह ने कहा कि साहित्य के विद्यार्थी की अपनी एक जिम्मेदारी होती हैं और वही जिम्मेदारी आपको यहां निभानी है। उन्होंने कहा कि बीएचयू में रहते हुए यहां तमाम साहित्यक संस्थाएं है, उनको भी जाने, समझे। उन्होंने कहा कि आज हमारे पास स्वीकार का बोध नहीं है, जो होना चाहिए। डॉ. किंग्सन पटेल ने कहा कि अच्छी चीज़ ग्रहण करोगे तो आप अच्छा बनोगे और वही कार्य आपको विभाग में एक विद्यार्थी के रूप में ग्रहण करना। मंच संचालन डॉ. महेंद्र प्रसाद कुशवाहा ने किया। स्वागत डा अशोक कुमार ज्योति और धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर लहरी राम मीणा ने किया।
Tags:
#DailyNews
#mumbai
#recent
Daily News
Local News
National
Naya Savera
New Delhi
uttar pradesh
Uttar Pradesh News
Varanasi