नया सवेरा नेटवर्क
जौनपुर। सस्ते की चाह, नकली की राह। यह कहना है केमिस्ट एंड फार्मेसी वेलफेयर एसोसिएशन का। छूट से सस्ती दवाइयां की चाहत पैदा कर ऑनलाइन फार्मेसी और कुछ प्रतिष्ठान डिस्काउंट के नाम पर व्यावसायिक अराजकता पैदा कर रहे हैं। लिहाजा मरीजों के हित में प्रदेश सरकार को इनसे निपटने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। संगठन ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर ऑनलाइन फार्मेसी प्रतिष्ठानों के साथ प्रदेश के कई जिलों के कई प्रतिष्ठानों द्वारा दवाओं में छूट का प्रलोभन देकर ग्राहकों को आकर्षित कर उनको अनावश्यक और अघोमानक दवाओं को बेचने की प्रवृत्ति पर तत्काल रोक लगाने की मांग किया। पत्र में मांग की गयी कि इससे निपटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी शासनादेश राज पत्र फार्मेसी रेग्युलेशन एक्ट 16 जनवरी 2015 के अध्यादेश को प्रदेश में लागू किया जाए। संगठन ने मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र में कहा कि ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए आनलाइन फार्मेसी के साथ ऐसे कई प्रतिष्ठान हैं जो अपने पूरे मुनाफे को डिस्काउंट में देने का प्रलोभन देकर ग्राहको को आकर्षित रहे है। ऐसे में अपने व्यवसाय के रख रखाव खर्च, कर्मचारियों के वेतन और अपने जीवकोपार्जन के लिए वह नकली अधो मानक और गैरजरूरी दवाओं के जारिए मोटी कमाई कर रहे हैं।
पत्र में कहा गया कि यह फार्मेसी एक्ट का खुला उल्लंघन है। ऐसी हालत से निपटने के लिए भारत सरकार ने 16 जनवरी 2015 को एक राजपत्रजारी किया था। जारी किए गए राजपत्र के हवाले से बताया गया कि अध्याय 8 की पैरा संख्या 12.2 में ऐसी गतिविधियों को नियम विरुद्ध बताया गया है। पत्र में मांग की गई कि ऐसी गतिविधियों पर तत्काल रोक लगाई जाए और ऐसा करने वाले लाइसेंसी व्यवसायों को रोका जाए। साथ ही अवैध डिस्काउंट देने वाले इन प्रतिष्ठानों की कड़ाई से सूक्ष्म जांच कराई जाय।
संगठन के महामंत्री राजेंद्र निगम ने कहा कि व्यवसाय में हो रही गला काट प्रतिद्वंदिता के कारण व्यवसाइयों में डिस्काउंट देकर ग्राहक को आकर्षित करने की प्रवृत्ति नकली दवा व्यवसाय को बढ़ावा दे रही है। आम जनता को सही असली और आवश्यक दवाएं नियमित रूप से मिलती रहे, इसीलिए सरकार ने सन 2015 में ऐसी प्रावधान बनाए हैं, क्योंकि दवा व्यवसाय में मुनाफा सरकार द्वारा ही निश्चित किया गया है और वह भी व्यवसाय और व्यवसाय की जरूरत को देखते हुए यह मुनाफा व्यवसाय के सामान्य खर्चों के अलावा इस व्यवसाय में कई तरह के लाइसेंस, दवा के रख-रखाव और फार्मासिस्ट के ऊपर आने वालों खर्चों के साथ व्यापारी की जीवकोपार्जन की जरूरतो के आधार पर किया गया है। डिस्काउंट पर दवा बेचना नैतिक व्यवहारिक और कानूनी तीनों रूप से गलत है। मांग किया कि खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करें और नियमों का उल्लंघन करने वाले व्यवसाइयों के खिलाफ उचित और वैधानिक कार्रवाई करे और भारत सरकार के फार्मेसी रेग्युलेशन एक्ट 2015 को प्रदेश में शीघ्र लागू करे जिससे दवा व्यवसाय में व्याप्त अनियमितता दूर हो सके।