#Poetry: " मजबूती का रहस्य " | #NayaSaveraNetwork
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" मजबूती का रहस्य "
एक नदी शहर और गांव को
क्राॅस करती हुई बहती है
शहर की नदी पर है
सीमेंट का पक्का पुल
और गांव की नदी पर
बांस का कच्चा पुल,
बाढ़ आयी, देखते ही देखते
शहर का पक्का पुल बह गया
और गांव का कच्चा पुल
वैसा ही रह गया।
इसका कारण खोजा तो पता चला
कि गांव का पुल
अब तक टिका है
क्योंकि, उसका आज तक
उदघाटन नहीं हुआ।
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" पुल की ईमानदारी "
लोहे और सीमेंट का एक बड़ा हिस्सा
मंत्री, ठेकेदार और इंजीनियर
तीनों ने मिल बांट खाया
और उदघाटन के दिन
सारा इल्ज़ाम पुल पर लगाया।
बेचारा पुल
जानता था इनके सारे गुल
पर अपनी सफाई में क्या कहे ?
कैसे कहे ?
इतना बड़ा इल्ज़ाम भी
कैसे सहे ?
दो दिन बाद ही पुल ने
नदी में कूदकर
आत्महत्या कर ली।
अपनी ईमानदारी का सबूत देते हुए
वो पानीदार पुल
पानी में बह गया,
-" मैंने लोहा और सीमेंट नहीं खाया "
ये बात मरते- मरते कह गया।
घनश्याम अग्रवाल (हास्य -व्यंग्य कवि)