#Poetry: ग़ज़ल: पागलपन | #NayaSaveraNetwork
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पागलपन (ग़ज़ल)
ऐसा हो वैसा पागलपन
सब कहते कैसा पागलपन
हासिल करना इक मुद्दा है
पागल के जैसा पागलपन
दौलत का सामान नया जब
हो जाता पैसा पागलपन
लोग कहेंगे कुछ मत सुनना
जैसे को तैसा पागलपन
मिटकर उठकर चलकर देखा
हममें भी ऐसा पागलपन
वंदना
अहमदाबाद