#Poetry: रूठल पिया सवनवां मा न | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
कजरी
रूठल पिया सवनवां मा न
प्रियतम गौना ले आए,मगर हाथ की मेंहदी भी नहीं छूटी थी और वह यह वादा करके परदेस चले गए कि सावन लगते ही गांव आ जाऊंगा । बार बार फोन करने पर भी परदेसी नहीं आए।इधर विरह की आग में झुलस रही नायिका ने अपना दर्द बताते हुए कहा -
बदरा घुमड़ि के बरसइ,आगि लगावइ मनवां मा
रूठल पिया सवनवां मा न।
भेजली बार-बार हम पतिया,
हमरी होत अहइ दुरगतिया,
रहि-रहि छंउछियात बानी रोज भवनवां मा
रूठल पिया सवनवां मा न।
ताकी टुकुर-टुकुर हम रहिया,
हमरी बिपति कटे अब कहिया,
के छपकोरिया खेलइ हमरे साथ अंगनवां मा?
रूठल पिया सवनवां मा न।
देहियां टूटइ,असिया छूटइ,
केउ कइ भागि न हम जस फूटइ
भरी जवानी मा हम काटत हई भजनवां मा
रूठल पिया सवनवां मा न।
बुनिया लागइ जस चिनगारी,
रतिया चलइ करेजे आरी,
रिमझिम रिमझिम सावन उतरा मोर नयनवां मा
रूठल पिया सवनवां मा न।
थकि गइले हम गौरि उठाई,
दिल कऽ केतना दरद बताई,
ई निर्मोही कबहुं न आवइ मोर सपनवां मा
रूठल पिया सवनवां मा न।
जियरा धक-धक धक-धक बोले,
झुलवा देखि के मनवां डोले,
कजरी विरह बढ़ावइ,जाई जउ मधुवनवां मा
रूठल पिया सवनवां मा न।
हमरी कसम तोहइं बा रउवा,
आवा पिय सुरेश अब गउवां,
केतना हमइ सतइब्या, रुसवा भए जमनवां मा
रूठल पिया सवनवां मा न।
सुरेश मिश्र