#JaunpurNews : गुमशुदगी : आज भी थानों के चक्कर लगाने को मजबूर बेबस, लाचार लोग | #NayaSaveraNetwork
मीर बेलाल जानी
जौनपुर। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डा. अजय पाल शर्मा के निर्देश पर थाना लाइन बाजार पुलिस ने 3 दिन में डिबिया नामक बच्ची को ढूंढ निकाला, लेकिन आज भी जनपद के विभिन्न थानों में कई व्यक्तियों की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज है। इससे पुलिस की निष्क्रियता ही कही जाएगी कि उन मामलों में अभी तक पुलिस को क्यों कामयाबी नहीं मिली, यह एक गंभीर विषय है, जो लोग कई माह से संदिग्ध अवस्था में अपने घरों से गायब हैं और थानों में उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज है, लेकिन उन लोगों का दूर-दूर तक कोई अता पता नहीं है। इसके कारण गुमशुदा व्यक्तियों के परिजन किस प्रकार गुम हुए लोगों के बग़ैर अपना दिन रात किस बेचैनी के साथ कैसे काटते होंगे यह तो या वह लोग जानते होंगे। ऐसे में पुलिस की तत्परता और निष्क्रियता साफ तौर पर उस समय निखर कर सामने आती हैं और देखने को भी मिलती है। जब माह भर से अधिक समय गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाए गुजर जाता है। स्वयं अपनों की तलाश कर के थक-हारकर आखिरी उम्मीद की आस लगाए जब गुम हुए लोगों के बारे में जानकारी करने के लिए सम्बंधित थानों पर जाकर हिम्मत जुटाते हुए दीवान जी या दारोगा तथा थानेदार से अपने दिल के टुकड़ों यानी गुमशुदाओं के बारे में जानना चाहता है।
पुलिस जवान जानकारी देने के बजाय पुलिसिया रौब दिखाती है। सरकारी कार्य की विभिन्न प्रकार की जिम्मेदारियों को बताकर ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं कि पीड़ित व्यक्ति अवाक रहकर उनकी बातों को सुनकर और थानों का कई बार चक्कर काटने के बाद थक-हार कर आखिर में सब कुछ ईश्वर पर छोड़ देता है। हालांकि कभी-कभी ऐसे ही कुछ मामले प्रकाश में आ जाते हैं कि गुमशुदा व्यक्ति के कुछ परिजन मुकद्दर के इतने धनी होते हैं जो स्वयं ही अपने खोए लोगों का पता लगा लेते हैं। कुछ ऐसे भी गुमशुदा है कि स्वयं ही दो-चार माह इधर-उधर रहने के पश्चात घर को लौट आते हैं। कभी ऐसा भी होता है जो घर से गया, वह वापस कभी लौटा ही नहीं। जिनकी खबर मिली, वह भी किसी मामले का शिकार होकर काल के गाल में समा गये।
बानगी के तौर पर देखा जाए तो जनपद के महाराजगंज थाना क्षेत्र के घुसकुरी गांव निवासी खुर्शीद अली पुत्र स्व. शब्बीर अली 15 मार्च 2024 को घर से संदिग्ध अवस्था में लापता हो गए। पत्नी नीलम अकेली रहने के बाद भी पति खुर्शीद अली को लगभग एक माह नात-रिश्तेदारी और जान-पहचान वाले लोगों एवं परिचित स्थानों पर तलाश किया लेकिन जब पति खुर्शीद अली नहीं मिले तो थाने जाकर 166 को गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई। आरोप है कि पुलिस को न उन्हें गुमशुदा के मामले में कोई जानकारी हुई और न ही लोकेशन के बारे में उन्हें सीडीआर कापी ही उपलब्ध हो पाई। यहां पर यह कहना गलत नहीं होगा कि पुलिस की ऐसी सतर्कता और निष्क्रियता के चलते नीलम पर ईश्वर की महती कृपा ही रही कि खुर्शीद अली अपने आप शनिवार को घर लौट आया जिससे नीलम की खुशी का ठिकाना न रहा।
आइए ऐसे ही एक-दूसरे प्रकरण की तस्वीर से आपको रूबरू कराते हैं जो साफ तौर पर पुलिस की तत्परता और निष्क्रियता पर सवालिया निशान उठ रहा है जिसके चलते दिल दहलाने वाली घटना घटित हो गई है जनपद के खेतासराय थाना क्षेत्र के मुस्तफाबाद गांव निवासी फिरोज अहमद के साथ। उक्त गांव निवासी रशीदा रुखसार 20 वर्ष पुत्री फिरोज अहमद 13 मई को पड़ोसी जनपद आजमगढ़ दीदारगंज थाना क्षेत्र स्थित फुलेस गांव स्थित ओम प्रकाश मिश्रा कॉलेज जाने के लिए घर से निकली जो बीएससी प्रथम की छात्रा थी। लगभग सप्ताह भर गुजर गया और जब वह घर नहीं लौटी तो इसके पहले परिजन आस-पड़ोस रिश्तेदार परिचित लोगों एवं स्थानों पर उसकी तलाश करने के पश्चात। 19 मई को किसी अनहोनी घटना हो जाने की शंका में थाने पहुंचकर उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई लेकिन गुमशुदगी की जांच कर रही पुलिस लगभग डेढ़ माह बीत जाने के बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। अब ऐसे में घर से जवान लड़की का इतने दिन गुजर जाने के बाद भी किसी तरह से कोई अता-पता न चल सके तो सोचिए परिजन का किस तरह का हाल होगा यह तो बस महसूस ही किया जा सकता है। ऐसे हालात में परिजन को यह सूचना मिले कि इसी थाना क्षेत्र के जमदाहा गांव से होकर गुजरने वाली वैंसो नदी में गुरुवार के दिन थाने से महज 4 से 5 किलोमीटर की दूरी पर रशीदा रुखसार की पानी में बहती हुई लाश मिली है।
गुमशुदा व्यक्तियों के साथ दिल दहलाने वाली कोई घटना न घट पाये, इसलिए जनपद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक का ध्यान इस ओर आकृष्ट करवाया गया है कि अगर आप ऐसे ही किसी मामले में सक्रिय होते हैं तो पुलिस के जवान भी तत्परता से सक्रिय होते हुए मामले को हल करने में रात-दिन एक करके जुट जाते हैं। इसका जीता जागता उदाहरण लाइन बाजार थाना क्षेत्र से 3 दिन गुम रही डिबिया नामक बच्ची को पुलिस के जवान गुमशुदगी के तीसरे दिन ही बरामद कर परिजन को सौंप देते हैं।
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