#Poetry: कोई भी हाथ फेरे सिर पे तो बस यूं समझिएगा | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
कोई भी हाथ फेरे सिर पे तो बस यूं समझिएगा
ये उसके दिल के अंदर का छुपा कुछ प्यार होता है
किसी का पांव छूने से मियां रुतबा नहीं बढ़ता
हमारे संस्कारों का महज इजहार होता है
ये लहज़ा नींव होती है,कभी भी भूल मत जाना
हमारी हर बुलंदी का यही आधार होता है
कहीं चलिए तो संग में हमसफर होना जरूरी है
अकेले में समय हरदम बड़ा खूंखार होता है
यहां तो झूठ बिकती है,नहीं सच का कोई क्रेता,
चुनावों में हमेशा झूठ का व्यापार होता है
यहीं पर स्वर्ग पाओगे,यहीं पर नर्क की दुनिया,
जो जैसा कर्म करता है,वही साकार होता है
चलो जब भी दुवाएं मां की अपने साथ में रखना
इसी से भंवर में फंसकर भी मानव पार होता है
सुरेश मिश्र