#Poetry: चिंता | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
चिंता
हर लड़के का जीवन चिंता से शुरू होता है
और चिंता करते करते चिता पर खत्म होता है।
कभी अपनों ने दिल दुखाया
कभी गैरों ने दिल दुखाया,
मैं खोजने चला दो पल सुकून के
अंत में निराशा ही पाया।
कितनी ज़ालिम है ये दुनिया
ये घर छोड़ने वाले समझते हैं,
हम भी कभी चौराहे ही शान थे
आज दर दर भटकते हैं।
बड़ी मुश्किल से हम घर परिवार को भुला के जीते हैं,
एंजॉय के नाम पर एक चाय सुकून की पी लेते हैं।
हर समय दोस्त, परिवार की याद आती है,
कभी कभी सोचता हूं वो सुहाने दिन तो आंख भर आती है।
जिम्मेदारी है तो निभाना पड़ेगा
हम लड़के है दोस्त कमाना पड़ेगा ,
लोग मां बाप के जायदाद पर मज़ा करते हैं
हमें तो घर चलाने के लिए भी कमाना पड़ेगा।
कभी मिलेगा वक्त तो पूछेंगे तुमसे
तुमको हर हाल बताना पड़ेगा,
छूट जायेगा प्यार, घर परिवार पर
लड़को को सदा कमाना पड़ेगा।
रितेश मौर्य
जौनपुर, उत्तर प्रदेश।