सर्वेमऊ ग्राम सभा में चल रही श्रीमद् भागवत कथा
नया सवेरा नेटवर्क
सुजानगंज, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के सर्वेमऊ ग्राम सभा में मुख्य यजमान चंद्रशेखर शुक्ल व सरस्वती देवी के यहां चल रहे श्रीमद् भागवत कथा में पंडित सुधाकर मिश्र द्वारा कथा के दौरान सती विवाह के वृतांत में भगवान शिव और माता सती के विवाह के कथा को सुनाते हुए कहा कि पुराणों के अनुसार भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्रों में से एक प्रजापति दक्ष कश्मीर घाटी के हिमालय क्षेत्र में रहते थे। प्रजापति दक्ष की दो पत्नियां थी, प्रसूति और वीरणी। प्रसूति से दक्ष की चौबीस कन्याएं जन्मी और वीरणी से साठ कन्याएं। राजा दक्ष की पुत्री 'सती' की माता का नाम था प्रसूति। यह प्रसूति स्वायंभुव मनु की तीसरी पुत्री थी। सती ने भगवान शिव से विवाह किया।
रुद्र को ही शिव कहा जाता है और उन्हें ही शंकर। पार्वती-शंकर के दो पुत्र और एक पुत्री हैं। पुत्र गणेश, कार्तिकेय और पुत्री वनलता। जिन एकादश रूद्रों की बात कही जाती है वे सभी ऋषि कश्यप के पुत्र थे उन्हें शिव का अवतार माना जाता था। मां सती ने एक दिन कैलाशवासी शिव के दर्शन किए और उनको भगवान शिव से प्रेम हो गया लेकिन ब्रम्हा जी के समझाने उपरांत सप्रजापति दक्ष की इच्छा से सती ने भगवान शिव से विवाह किया।
दक्ष ने एक विराट यज्ञ का आयोजन किया लेकिन उन्होंने अपने दामाद और पुत्री को यज्ञ में निमंत्रण नहीं भेजा। फिर भी सती अपने पिता के यज्ञ में पहुंच गई। दक्ष ने पुत्री के आने पर उपेक्षा का भाव प्रकट किया और शिव के विषय में सती के सामने ही अपमानजनक बातें कही। सती बर्दाश्त नहीं कर पाई और इस अपमान की कुंठावश उन्होंने वहीं यज्ञ कुंड में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए।
यह खबर सुनते ही शिव ने वीरभद्र को भेजा, जिसने दक्ष का सिर काट दिया। इसके बाद दुखी होकर सती के शरीर को अपने सिर पर धारण कर शिव ने तांडव नृत्य किया। पृथ्वी समेत तीनों लोकों को व्याकुल देख कर भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र द्वारा सती के शरीर के टुकड़े करने शुरू कर दिए। इस तरह सती के शरीर के जो हिस्सा जहां गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आ गए। कथा के पूर्व मुख्य यजमान द्वारा कथावाचक पंडित सुधाकर मिश्रा का सम्मान किया गया। इस मौके पर ब्रह्मदेव शुक्ल, शैलेंद्र पांडेय, ओम प्रकाश शुक्ल, विनोद, अशोक यादव, राहुल शुक्ल, बबलू शुक्ल आदि लोगों की उपस्थित थे।
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