चइता | #NayaSaveraNetwork

लोकभाषा को आजकल लाइक नहीं मिलता। मगर अपने कुछ दोस्तों के आग्रह को टाल नहीं पाया। प्रस्तुत है एक चइता। अगर पसंद आए तो अपने मित्रों को भी शेयर करें।


पिया नाहीं अइले 
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लागि गइला चइत महिनवां हो रामा
पिया नाहीं अइले।

निमिया के निचवा भी झरे चिनगरिया 
तन झुलसाए मोरा पुरवी बयरिया 
रोइ-रोइ बितल फगुनवां हो रामा 
पिया नाहीं अइले।
लागि गइला चइत महिनवां हो ----

जाई अमराई म निहारी जब टिकोरवा 
जियरा म छेद करइ जइसे कठफोरवा 
छुपि-छुपि करी हम रुदनवां हो रामा 
पिया नाहीं अइले।
लागि गइला चइत महिनवां........

खेतिया पकल बाटइ,चुगइ न चिरइया 
केतना सतइब्या हमके ननदी के भइया 
मटिया में मिलिगा सपनवां हो रामा 
पिया नाहीं अइले।
लागि गइला चइत महिनवां........

देहियां म दम ना,पताइ लागल पउवां 
संसिया पे हंसिया लगाए हउवें रउवा 
हमइ के ओढ़ाए अब कफनवां हो रामा 
पिया नाहीं अइले।
लागि गइला चइत महिनवां.......

बगिया से अगिया लगावेला कोयलिया 
हमरा करेजा चीरइ चिरई क बोलिया 
काटि खाए हमके भवनवां हो रामा 
पिया नाहीं अइले।
लागि गइला चइत महिनवां.......

जिनगी पहाड़ भइली सहि-सहि बिपतिया
सेजिया निगोड़ी मोरी बनी बा सवतिया 
रतिया म डरावइ सपनवां हो रामा 
पिया नाहीं अइले।
लागि गइला चइत महिनवां....

बपई क घर छोड़ि अइले ससुररिया 
परदेसी भइले मोहें छोड़ि के संवरिया 
ताना मारइ हमके जमनवां हो रामा 
पिया नाहीं अइले।
लागि गइला चइत महिनवां हो रामा 
पिया नाहीं अइले।

सुरेश मिश्र 
9869141831



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