नया सवेरा नेटवर्क
शीर्षक- बेवजह
बेवजह किसी की याद में रूलाया गया मुझे,
अंजान था मैं फिर भी सताया गया मुझे ।१।
खिल उठा हर बार नया फूल बन के मैं,
मिट्टी में जितनी बार दफनाया गया मुझे ।२।
कागज कलम की कैंद में मैं उम्र भर रहा,
लिखकर यूं कई मर्तबा मिटाया गया मुझे।३।
वेखौफ था मैं वक्त की तकसीम देखकर,
कुछ जालिमों के हत्थे चढ़ाया गया मुझे।४।
पहले कहा गया कि जुबां आजाद हैं तेरे,
मेरे बोलने से पहले चुप कराया गया मुझे।५।
सामिल तो कर लिया अफसाने महफ़िल में,
महफ़िल में सबसे अलग बैठाया गया मुझे।६।
साहित्यकार एवं लेखक-
डॉ. आशीष मिश्र उर्वर
कादीपुर, सुल्तानपुर उ.प्र.
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