#Poetry: ग़ज़ल | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
ग़ज़ल
नया नग़्मा सुनाकर लौट आना
नहीं मिलना, बुलाकर लौट आना
दग़ा वो दे रहे, ये उनकी मर्ज़ी
किये वादे निभाकर लौट आना
तू अपने मन की करता ठीक है पर
हदों के पार जाकर लौट आना
जहाँ अनजान बनते जाएं रिश्ते
वहाँ से मुस्कराकर लौट आना
मिले नफ़रत उदासी धोखा रंजिश
मोहब्बत को बचाकर लौट आना
हमारी ख़ूबियों को याद रखना
कमी सारी भुलाकर लौट आना
अँधेरे के सबक को याद रखना
चरागों को जलाकर लौट आना
वंदना
रिसर्च स्कॉलर गुजरात यूनिवर्सिटी,अहमदाबाद
![]() |
| Ad |
![]() |
| Ad |
![]() |
| Ad |

%20Affiliated%20%20Kadipur,%20Ramdayalganj,%20Jaunpur%20%20Affiliation%20No.%20213.jpg)

