मैं आम हूं,
लोग चूसते हैं मुझे,
नेता हो या आदमी।
एक मौसम होता है गांव का,
एक मौसम होता है चुनाव का।
'आम'फलों का राजा कहलाता है,
चुनाव में 'आम' राजा बन जाता है।
आम मीठा,खट्टा,रसेदार होता है,
ये'आम' भी ऐसे ही मजेदार होता है।
'आम' सहते हैं पत्थर और डंडे,
'आम' खाते हैं पत्थर और डंडे।
एक का सीज़न आता है पांच साल पर,
एक का सीज़न आता है एक साल पर।
'आम' चटनी बनाने के काम आते हैं,
यहां 'आम' खुद चटनी बन जाते हैं।
आम कई प्रकार के होते हैं,
कभी हंसते हैं तो कभी रोते हैं।
हापुस,लंगड़ा,दसहरी,
देसी और तोतापायरी,
जिन पर कवियों ने बड़ी-बड़ी,
लिखी है कविता व शायरी।
गरीब-अमीर,असहाय,भूखा,
कहीं पर बाढ़ तो कहीं पर सूखा।
आम मूसने के काम आता है,
आम चूसने के काम आता है।
तीन महीने हंसता है,नौ महीने सोता है,
आम दो माह हंसता,पांच साल रोता है।
आम भगवान पर चढ़ाए जाते हैं,
आम मंदिर-मस्जिद के काम आते हैं।
वैसे आम के लिए हरदम,
कोहराम होते हैं,
क्योंकि,आम के आम,
गुठलियों के भी दाम होते हैं।
सुरेश मिश्र
9869141831
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