नया सवेरा नेटवर्क
सुनों राधा होली में
करना न कृष्ण से सवाल,
सुनों राधा होली में।
लहंगा जरा तू संभाल,
सुनों राधा होली में।
उसकी सुरतिया पे जान मेरा अटका,
नन्द -यशोदा का नटखट वो लड़का।
सीधी नहीं उसकी है चाल,
सुनों राधा होली में।
लहंगा जरा तू संभाल,
सुनों राधा होली में।
करना न कृष्ण से सवाल,
सुनों राधा होली में।
मुरली-मनोहर की बात निराली,
देवकी ने जाया,यशोदा है पाली।
तन-मन उड़ाएगा गुलाल,
सुनों राधा होली में।
लहंगा जरा तू संभाल,
सुनों राधा होली में।
करना न कृष्ण से सवाल,
सुनों राधा होली में।
डुबायेंगे रंग में उसे पारा -पारी,
नहीं चुप बैठेगा बाँके- बिहारी।
अरे! हम भी तो होंगे निहाल,
सुनों राधा होली में।
लहंगा जरा तू संभाल,
सुनों राधा होली में।
करना न कृष्ण से सवाल,
सुनों राधा होली में।
कहीं अगर छिपा तो छिपने न देंगें,
उस अविनाशी से बदला हम लेंगे।
हम भी तो होंगे मलामाल,
सुनों राधा होली में।
लहंगा जरा तू संभाल,
सुनों राधा होली में।
करना न कृष्ण से सवाल,
सुनों राधा होली में।
गोविन्द-गोपाल घट -घट का बसिया,
घर -घर चुराता है माखन वो रसिया।
थोड़ा- थोड़ा होगा बावाल,
सुनों राधा होली में।
लहंगा जरा तू संभाल,
सुनों राधा होली में।
करना न कृष्ण से सवाल,
सुनों राधा होली में।
सुनो -सुनो देखो वो बृज का उजाला,
काम, क्रोध, मद की जलायेंगे ज्वाला।
मचाएगा वो भी धमाल,
सुनों राधा होली में।
लहंगा जरा तू संभाल,
सुनों राधा होली में।
करना न कृष्ण से सवाल,
सुनों राधा होली में।
रामकेश एम. यादव, मुंबई
(रॉयल्टी प्राप्त कवि व लेखक)
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