#JaunpurNews : देश-विदेश में मिलेगी जौनपुर के इमरती को पहचान, जानिए ऐसा क्यों? | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
जौनपुर। जिला उद्योग प्रोत्साहन तथा उद्यमिता विकास केंद्र के उपायुक्त उद्योग हर्ष प्रताप सिंह ने बताया कि विगत 2 वर्षों से जौनपुर की मशहूर इमरती को जीआई टैग दिलाने का प्रयास चल रहा था जिसमें अब सफलता मिल गई है। जीआई रजिस्ट्रार कार्यालय चेन्नई ने जौनपुर की इमरती को जीआई टैग दिया है। अब इस नई पहचान से इमरती को देश-विदेश में विशेष स्थान प्राप्त होगा। इमरती का इतिहास ब्रिटिश काल से लगभग 200 वर्ष पूर्व का है, जिसको बनाने की विधि सामान्य इमरती से पूर्णतया भिन्न है। लकड़ी की धीमी आंच पर देसी चीनी (खांड़सारी), देशी घी और उड़द की दाल प्रयोग कर विशेष विधि से बनाई जाती है। यह इतनी मुलायम होती है कि मुंह में डालते ही घुल जाती है। यहां की मशहूर इमरती की देश एवं विदेश में अलग मांग है। जीआई टैग एक ऐसा चिन्ह है जिसका उपयोग उन विशेष उत्पादों पर किया जाता है जो किसी विशिष्ट भौगोलिक स्थान या मूल से संबंधित होते हैं।
जीआई टैग यह सुनिश्चित करता है कि केवल अधिकृत उपयोगकर्ताओं या भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाले लोगों को ही लोकप्रिय उत्पाद के नाम का उपयोग करने की अनुमति है। यह उत्पाद को दूसरों द्वारा नकल या अनुकरण किये जाने से बचाता है। जीआई टैग की वैद्यता 10 वर्षों के लिये होती है। इमरती को जीआई टैग मिलने के साथ-साथ इस वित्तीय वर्ष में जीआई रजिस्ट्रार कार्यालय चेन्नई में 160 नये उत्पाद और भी जीआई पंजीकृत हुये उनमें यूपी के 14 उत्पाद जिसमें वाराणसी के लाल पेड़ा के साथ-साथ बनारसी पान को जीआई पंजीकृत प्राप्त हुआ। यूपी में अब तक कुल 69 जीआई टैग पंजीकृत हुये हैं, जो अन्य राज्य की तुलना में सर्वाधिक है।
2 वर्षों से इमरती को जीआई टैग पंजीकृत कराने के लिए प्रक्रिया चल रही थी। जिला प्रशासन, कार्यालय उपायुक्त उद्योग, नाबार्ड एवं पदमश्री जीआई पंजीयन विशेषज्ञ डॉ. रजनीकान्त की इस उपलब्धि में महत्वपूर्ण भूमिका है। जौनपुर के जिलाधिकारी द्वारा बताया गया कि इमरती का जीआई का पंजीयन होने से देश विदेश में नई पहचान मिलेगी जो जनपदवासियों के लिये गर्व की बात है। उपायुक्त उद्योग हर्ष प्रताप सिंह द्वारा बताया गया कि इमरती के बाद जौनपुर की मशहूर मूली, मक्का के साथ इत्र के जीआई पंजीयन की प्रकिया शीघ्र शुरू की जाएगी।
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