नया सवेरा नेटवर्क
जौनपुर। रंगों का पर्व होली 25 मार्च दिन रविवार को है जिसको लेकर जहां सार्वजनिक खाली पड़े स्थलों पर बसंत पंचमी के दिन होलिका को लेकर रेड़ का पेड़ गाड़ दिया गया है, वहीं आवागमन में दिक्कतों को देखते हुये व्यस्ततम जगहों पर रेड़ का पेड़ रविवार को गाड़ा गया। जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीणांचलों तक तमाम जगहों पर होलिका का आयोजन हुआ जहां आयोजन समिति के लोगों द्वारा सुबह ही रेड़ का पेड़ गाड़ दिया गया। इसके साथ ही धूप, बत्ती, बताशा, अबीर, गुलाल के साथ विधि—विधान से पूजा किया गया। वहीं ऐसे स्थलों के पास ध्वनि विस्तारक यंत्र के माध्यम से होली गीत पर लोगों ने जहां नृत्य करना शुरू कर दिया, वहीं जोगीरा का दौर भी शुरू हो गया। उपरोक्त आयोजनों का सिलसिला रविवार से शुरू होकर सोमवार की दोपहर तक चलेगी। मान्यता है कि असुर राजा की बहन होलिका को भगवान शंकर से वरदान में ऐसी चादर मिली थी जिसे ओढ़ने पर अग्नि उसे जला नहीं सकती थी। होलिका उस चादर को ओढ़कर प्रह्लाद को गोद में लेकर चिता पर बैठ गई। दैवयोग से वह चादर उड़कर प्रह्लाद के ऊपर आ गई जिससे प्रह्लाद की जान बच गई और होलिका जल गई। तभी से होलिका दहन जैसी परम्परा की शुरूआत हो गयी जो आज भी चल रही है।
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