नया सवेरा नेटवर्क
होलिया में उड़े रे ग़ुलाल
होलिया में उड़े रे ग़ुलाल,
मिलिहा जोगनिया से।
चलती है आता है भूचाल,
मिलिहा जोगनिया से।
होलिया में उड़े रे ग़ुलाल,
मिलिहा जोगनिया से।
रस से भरी है उसकी बदनियाँ,
करना न उससे तनिकौ नदनियाँ।
है पंखुड़ी जैसा उसका गाल,
मिलिहा जोगनिया से।
चलती है आता है भूचाल,
मिलिहा जोगनिया से।
होलिया में उड़े रे ग़ुलाल,
मिलिहा जोगनिया से।
पीछे पड़ी ये दुनिया सारी,
महके जइसे फूल की क्यारी।
पाएगा जो होगा मालामाल,
मिलिहा जोगनिया से।
चलती है आता है भूचाल,
मिलिहा जोगनिया से।
होलिया में उड़े रे ग़ुलाल,
मिलिहा जोगनिया से।
भरी पिचकारी न सीधे चलाना,
ऊपर-नीचे बस रंग लगाना।
कुछ होये न उसको मलाल,
मिलिहा जोगनिया से।
चलती है आता है भूचाल,
मिलिहा जोगनिया से।
होलिया में उड़े रे ग़ुलाल,
मिलिहा जोगनिया से।
रामकेश एम. यादव (लेखक), मुंबई
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