नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) 2019 लागू हुआ- अधिसूचना जारी | #NayaSaveraNetwork
- संसद के दोनों सदनों में पारित सीएए कानून 2019, अब 5 वर्षों के बाद 11 मार्च 2023 से लागू हुआ
- नागरिकता संशोधन कानून 2019 हर तरह के विवाद को विराम लगाकर आखिर लोकसभा चुनाव 2024 के पूर्व लागू हुआ-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया
@ नया सवेरा नेटवर्क
साथियों बात अगर हमनागरिकता संशोधन कानून 2019 को समझने की करें तो, नागरिकता संशोधन अधिनियम नियमों की अधिसूचना आज सोमवार को जारी हो गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सोमवार को शाम छह बजे सीएए के नियमों को लेकर अधिसूचना जारी की गई है।बता दें कि आने वाले कुछ ही दिनों में आगामी लोकसभा चुनावों की तारीखों का एलान हो सकता है। ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा देश में नागरिकता संशोधन कानून के लिए अधिसूचना जारी करना मास्टर स्ट्रोक है।नोटिफिकेशन जारी होने के बाद देश में नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए लागू हो गया है। सीएए दिसंबर 2019 में पारित हुआ था और बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी लेकिन इसके खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए। यह कानून अब तक लागू नहीं हो सका है क्योंकि इसके कार्यान्वयन के लिए नियमों को अधिसूचित किया जाना है। सीएए नियम जारी होने के बाद जो लोग बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए थे केवल उन्हें ही केंद्र सरकार द्वारा भारतीय राष्ट्रीयता दी जाएगी। हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा था कि सीएए का कार्यान्वयन कोई नहीं रोक सकता, क्योंकि यह देश का कानून है। वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने इसे लेकर केंद्र पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया था।
साथियों बात अगर हमनागरिकता संशोधन कानून को 10 पॉइंटों में समझने की करें तो, (1)सीएए का फुल फॉर्म नागरिकता (संशोधन) अधिनियम है। नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 एक ऐसा कानून है, जिसके तहत दिसंबर 2014 से पहले तीन पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत में आने वाले छह धार्मिक अल्पसंख्यकों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) को नागरिकता दी जाएगी।(2)केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा लोकसभा चुनाव से पहले 11 मार्च 2024 को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 की अधिसूचना जारी कर दी है। सीएए नियमों का उद्देश्य गैर-मुस्लिम प्रवासियों जिनमें हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है।(3)भारतीय नागरिकता केवल उन्हें मिलेगी जो बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में शरण लिए हुए थे।इन तीन देशों के लोग ही नागरिकता के लिए आवेदन करने के योग्य होंगे।(4)नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019, दिसंबर 2019 में संसद में पारित किया गया। इसके बाद राष्ट्रपति से सीएए कानून को मंजूरी मिल गई थी। हालांकि राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद देश के विभिन्न राज्यों में सीएए को लेकर विरोध प्रदर्शन भी किया गया।(5)सीएए के नियम पहले से ही तैयार कर लिए गए थे और इसके लिए आवेदन की प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन रखी गई है। आवेदन के लिए आवेदक को किसी अतिरिक्त दस्तावेज की आवश्यकता नहीं होगी। आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन रहेगी। आवेदकों को बताना होगा कि वे भारत कब आए।(6)पिछले दो वर्षों के दौरान नौ राज्यों के 30 से अधिक जिला मजिस्ट्रेटों और गृह सचिवों को नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने की क्षमता प्रदान की गई।(7) गृह मंत्रालय की 2021 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 1 अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर 2021 के बीच पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले गैर मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदायों के 1414 व्यक्तियों को नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत पंजीकरण या प्राकृतिककरण के माध्यम से भारतीय नागरिकता प्रदान की गई।(8)नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 से भारतीय नागरिकों का कोई सरोकार नहीं है। संविधान के तहत भारतीयों को नागरिकता का अधिकार है। सीएए कानून भारतीय नागरिकता को नहीं छीन सकता।(9) गृह मंत्री अमित शाह ने 9 दिसंबर को इसे लोकसभा में पेश किया था। नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 (सीएए) संसद में 11 दिसंबर 2019 को पारित किया गया था। सीएए के पक्ष में 125 वोट पड़े थे और 105 वोट इसके खिलाफ गए थे। 12 दिसंबर 2019 को इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी।(10) वर्ष 2016 में नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 (सीएए) पेश किया गया था। इसमें 1955 के कानून में बदलाव किया जाना था। जिसमें भारत के तीन पड़ोसी देश बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देना था। अगस्त 2016 में इसे संयुक्त संसदीय कमेटी को भेजा गया और कमेटी ने 7 जनवरी 2019 को इसकी रिपोर्ट सौंपी थी।
साथियों बात अगर हम सीएए पर विवाद होने व दंगों के प्रभाव की करे तो नागरिकता संशोधन कानून, 2019) को भारतीय संसद में 11 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया, जिसमें 125 मत पक्ष में थे और 105 मत विरुद्ध। यह बिल पास हो गया और इस विधेयक को 12 दिसंबर को राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी मिल गई। पारित होने से उत्तर-पूर्व, पश्चिम बंगाल और नई दिल्ली सहित पूरे देश में हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। राष्ट्रीय राजधानी 15 दिसंबर को ठप पड़ गई, जब जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों द्वारा विरोध मार्च का आयोजन किया गया और इसने हिंसक रुख अपना लिया। छात्र और पुलिस आमने-सामने थे। झड़पें हुईं और सार्वजनिक बसों में आग तक लगाई गई।हिंसक झड़पों के बाद, दिल्ली पुलिस ने हिंसा में शामिल होने के लिए कथित तौर पर जामिया के 100 से अधिक छात्रों को हिरासत में लियाथा। जामिया के छात्रों पर पुलिस की कार्रवाई के विरोध में और हिरासत में लिए गए लोगों की रिहाई की मांग को लेकर 15 दिसंबर को देर शाम जेएनयू और डीयू जैसे अन्य विश्वविद्यालयों के छात्रों सहित हजारों लोग दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर एकत्र हुए थे।
अतः अगर हम अपने पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) 2019 लागू हुआ- अधिसूचना जारी।संसद के दोनों सदनों में पारित सीएए कानून 2019, अब 5 वर्षों के बाद 11 मार्च 2023 से लागू हुआ।नागरिकता संशोधन कानून 2019 हर तरह के विवाद को विराम लगाकर आखिर लोकसभा चुनाव 2024 के पूर्व लागू हुआ।
-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकर एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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