दल दल में धँसते दल,नित निखर रहा है कमल | #NayaSaveraNetwork
@ नया सवेरा नेटवर्क
आजादी की लड़ाई जब शुरू हुई तो कोई राजनैतिक न दल था और न कोई राजशाही ही आगे आई|सब अंग्रेजों के भय से मौन साधे अंदर अंदर सुलग रहे थे|मगर विरोध करने का किसी में साहस नहीं उत्पन्न हो रहा था|लेकिन अति है तो इति है|अचानक से एक सैनिक विद्रोह आखिर में खड़ा हुआ|जिसके अगुवा बने पं.मंगल पांडेजी|उन्होंने सैनिकों के अंदर विद्रोह की ज्वाला भड़काई|और अजादी की प्रथम गोली अपने अफसर पर चला दी|चारों तरफ अफरा तफरी मच गई|अंग्रेजों ने जमादार ईश्वरी प्रसाद को आदेश दिया गिरफ्तार करने के लिए,मगर ईश्वरी प्रसाद और अन्य सिपाहियों ने मना कर दिया|इस तरह से सैनिक विद्रोह आजादी का शंखनाद हो गया|और यह जन आंदोलन का रूप ले लिया|अंग्रेज लोग मसवरा करके एक राजनीतिक दल का निर्माण किए|जिसका नाम रखे कांग्रेस|संदेश दिए कि जन शिकायतों व समस्याओं को सरकार तक पहुँचाने में यह दल मदद करेगा|और उसका हल भी निकालेगा|लेकिन अंदरखाने कांग्रेस का निर्माण इसलिए हुआ कि फिर से 1857 जैसी क्रांति भारत में न हो पाये|मगर क्रांति की ज्वाला धधकती ही रही और हमारे देश के नौनिहाल उसमें अपनी आहुति देते रहे|
कालांतर में एच आर ए (हिन्दुस्थान रिपब्लिक असोसिएशन) संगठन बना|जिसके मुखिया थे पं.रामप्रसाद विस्मिल(तोमर)उन्होंने देश के नौजवानो को एकत्रित कर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई को उग्र रूप से जारी रखा|और अंग्रेजों की चूले हिलाते रहे|उनकी लड़ाई को तब और धार मिल गई जब चंद्रशेखर का साथ मिला|फिर राजगुरु सुखदेव भगत सिंह जैसे नौजवान उसमें जुड़ते गये|और देश में दो दलीय व्यवस्था का निर्माण हुआ|गरम दल नरम दल|गरम दल में जोशीले नौजवान और नवयुतियाँ शामिल हुईं|जो आजादी के लिए सबकुछ न्योछावर किए|और नरम दल में वो शामिल हुए जो आजादी का कम और अंग्रेजों के लिए अधिक काम किए|जिसका नतीजा यह हुआ कि भारत दो टुकड़े में बँट गया|भारत आजाद हुआ|तानाशाही व राजशाही दोनो से|आजादी के बाद भी दो दल बने|एक बामपंथ,एक तो पहले से ही थी कांग्रेस|कुछ मतभेदों के बाद जनसंघ का निर्माण हुआ|सबका उद्देश्य सुखी भारत सुखी जनता का रहा|मगर कांग्रेस देश के साथ अपने जन्मकाल से ही छद्म थी और आज भी है|इसने चापलूसी से सत्ता अपने हाँथ में ले ली|और देश को आगे ले जाने की वजाय पीछे धकेलना शुरू कर दिया|और नेहरू खानदान को जनत्रंत्र की आड़ में|एक राजा की तरह बढ़ाने में लगी रही, और लगी है आज तक|कांग्रेस की गलत नीतियों की जिसको समझ आई वह कांग्रेस से अलग होकर एक नया दल गठित करते गया|आज अनगिनत राजनीतिक दल हमारे भारत में सक्रिय हैं|लेकिन अपनी छाप यहाँ कुछ दल ही छोड़ने में कामयाब हुए|जिसमें कांग्रेस से जन्मी जन संघ,आज की भाजपा,जद,सपा,शिवसेना,आदि तमाम क्षेत्रीय पार्टियाँ रहीं|भाजपा और बामपंथ को छोड़कर सभी पार्टियाँ एक पारिवारिक पार्टी बनकर रह गईं|जिसमें से राजतंत्र की बू आने लगी|कहने भर के लिए ए पार्टियाँ लोकतांत्रिक हैं|लेकिन कभी लोकतांत्रिक हुईं नहीं|बाप के बाद बेटा ही इन पार्टियों पर काबिज है|ये पार्टियाँ स्वहित पहले रखीं|देश को लूट पाट के अपने परिवार को ही पाली पोषीं|इनके लिए देश और जन से परिवार सदैव सर्वोपरि रहा|और इनके चमचों के लिए भी|चमचा इसलिए कह रहा हूँ कि इन पार्टियों में जो कथित नेता हैं|वो इन पार्टियों के परिवार से इतर कुछ सोंच ही नहीं पाते|
कुछ समय से थोड़ा सा बदलाव अब आ रहा है|जनता पुन: राज तंत्र और लोकतंत्र में भेद करना समझने लगी है|क्योंकि पहले की अपेक्षा जनता अब सजग हो रही है|और इन परिवार वादी पार्टियों से धीरे धीरे किनारा कर रही है|कुछ नेता भी जन भावना को समझ अपने को सुरक्षित रखने के लिए एक दल से निकल कर दूसरे दल में धँस रहे हैं|आज की तारीख में सबसे अधिक लोग भाजपा में धँसने से ही भलाई समझ रहे हैं|इसलिए उसी में धँस रहे हैं|जिसका परिणाम यह हो रहा है कि और दल,दल दल बनते जा रहे हैं|उसी के चलते भाजपा का कमल और खिलता जा रहा है|भाजपा की कुछ विकास परक नीतियाँ जो जनहित और देशहित दोनों में फिट बैठ रही है|उसके लिए जनता जाति धर्म को परे रखके शिर माँथे पर बार बार बैठा रही है|वहीं अन्य पार्टियाँ आज भी जनता की नब्ज नहीं पकड़ पा रही हैं|और वही घिसा पिटा मुद्दा जनता के सामने लेकर जा रही हैं|उनके कद्दावर नेता उन्हें छोड़कर जा रहे हैं|वो अपनी कमियों को न देखते हुए भाजपा को वाशिंग मशीन बताकर अपनी ही छीछालेदर करा रही हैं|जनता को सोंचने पर विवश कर रहें हैं कि क्या उक्त नेता चोर था|यदि चोर था तो अब तक आप उसे बचाये रखे|उसको बचाने के लिए कई बार देश की ऐसी तैसी किए|उसे इमादार बता हम सबको मूर्ख बना पिटवाते रहे|अब जैसे ही भाजपा में गया वह बेइमान हो गया|तो ठीक है कम से कम भाजपा में जाकर चोरी तो नहीं करेगा|इसलिए भी आज का पूरा विपक्ष दिशाहीन बना गर्त में जा रहा है|जो न देश हित में है न जनहित में|न विपक्ष के ही हित में|विपक्ष को भी बदलना पड़ेगा|संकुचित और परिवार वाद से बाहर आना पड़ेगा|वर्ना एक दिन यह कमल सब पर भारी पड़ जायेगा|और जनतंत्र के बदले पुन: राजतंत्र स्थापित हो जायेगा|जिसका सारा दोष आज के विपक्ष पर ही जायेगा|
पं.जमदग्निपुरी