टेंट से "श्रीराम" मंदिर में आ रहे हैं, असुर छटपटा रहे हैं | #NayaSaveraNetwork

पं. जमदग्निपुरी

नया सवेरा नेटवर्क

जहाँ राम भक्त उत्साह और उल्लास से लवरेज हैं और हों भी क्यों नहीं, जिस राम मंदिर के लिए 500 साल से लड़ रहे थे जिस राम मंदिर के लिए लाखों बलिदान हुए,वह आज भव्य तरीके से बनकर तैयार हो रहा है। हिन्द की आत्मा प्रभु श्रीराम टेंट से निकलकर मंदिर में जा रहे हैं। सभी सनातनियों का सपना पूरा हो रहा है,तो उत्साहित उल्लसित होना लाजिमी है। सनातनी जय श्रीराम के नारे के साथ भव्य अयोध्या दिव्य अयोध्या की अनुपमीय झलक देखने के लिए अयोध्या की तरफ जा रहे हैं। लोगों में गजब का उत्साह देखते ही बन रहा है। लोग बधाई गीत गा रहे हैं। आनंद के सागर में गोते लगा रहे हैं। इन सब स्थितियों को देखने से लगता है जैसे हम कलियुग में नहीं त्रेतायुग में हों। सारे विश्व के राम भक्त कुछ न कुछ  अपने हिय वासी श्रीराम को अर्पित कर रहे हैं त्रेतायुग का वह दृश्य दृष्टिगोचर हो रहा है जब भगवान श्री राम जी अधर्म का नाश कर धर्म को स्थापित कर अवध में आये थे जो स्थिति तब थी वही स्थिति आज फिर से अवध में बन रही है। हृदय सबके गदगद हैं। सब भाव विह्वल हो रहे हैं।


वहीं जो आसुरी शक्तियाँ हैं तब की तरह आज भी विराजमान हैं। वो छटपटा रही हैं। बदहवास हो गई हैं और कुछ भी ऊल जलूल बक रही हैं। सत्ता हथियाने के लिए श्रीराम का ही विरोध कर रही हैं और करती आ रही हैं। रामचरित मानस में एक चौपाई है जो इन बेलगाम बकवादी नेताओं पर बहुत फिट बैठती है।

जाको प्रभु दारुन दुख दीन्हा।

ताकी मति पहिले हरि लीन्हा।।

आज हमारे कुछ नेताओं की हालत ऐसी ही बनी हुई है। मति मारी हुई है। जिससे जो भी कह रहे हैं कर रहे हैं सब अपने खिलाफ ही कह रहे हैं और कर रहे हैं। एक नेता कह रहे हैं राम जब जंगल में थे तो क्या खाते थे। राम शिकार करते थे राम मांस खाते थे। एक नेताजी तो सारी हदें ही तोड़ दी। ए सब राम विरोध करके सत्ता का सुख भोगना चाह रहे हैं। मगर भूल रहे हैं कि राम विरोधी को कहीं शरण नहीं मिलती। इन पर यह दोहा बहुत फिट बैठता है। 

बातन्ह मनहिं रिझाइ सठ, जनि घालसि कुल खीस।

राम विरोध न उबरसी, बिष्णु ब्रह्म अज ईस।।

इन मंद बुद्धियों को कौन समझाये, कि जो बक रहे हो उससे अपनी ही हानि कर रहे हो। अच्छा इन्हें समझाए कौन? जब सभी चमचे ही हैं आज यहाँ कोई विभीषण है नहीं जो अपने राजा को अपने नेता को समझाने का साहस कर सके। रामचरित मानस का यह दोहा शायद इसी स्थित को प्रमाणित कर रहा है।

सचिव वैद्य गुरु तीनि जौ,प्रिय बोलहिं भय आस।

राज धर्म तनु तीन कर,होंहि बेगही नाश।।

जब राजा चमचों के सहारे चलता है तो जल्दी ही उसका नाश निश्चित है। आज हमारे भाजपा विरोधी नेता इस कदर पगलाये हैं कि क्या कहने। उसी पागलपने में राम विरोधी भी बनते जा रहे हैं। एक नेता जो कह रहे थे कि प्रभु श्रीराम वन में मांस खाते थे। उनको अभी बहुत कुछ सीखना है। बोलने से पहले थोड़ा अध्ययन कर लिए होते। हमारे ऋषि मुनि सभी खुद तो जंगल में ही रहे। मगर अपनी साधना से अपने ज्ञान से सम्पूर्ण विश्व को सही ढंग से जीने खाने रहने का तरीका बताया। जो ऊन तरीकों को नहीं माना वो असुर बन गया। हमारे ऋषि मुनि सभी शाकाहारी थे। यहाँ तक कि राम भक्त भिलनी भी शाकाहारी थी। लेकिन क्या करोगे इनकी मति तो हरी जा चुकी है। तो ये सभी इसी तरह की भाषा बोल बोल के अपना पैर कुल्हाड़ी पर मार रहे हैं।

आज के विपक्ष में और भाजपा में जो सबसे बड़ा अंतर है, जो भाजपा को ऊँचाई दे रहा है और इन्हें गर्त में ढकेल रहा है। वो है देश और धर्म के प्रति निष्ठा। जब स्व.राजीव गाँधी जी ने राम मंदिर का ताला खुलवाया था तो भाजपा ने स्वागत किया था। वहीं राम मंदिर बनने पर सभी विपक्षी विरोधी रुख अपनाये हैं। जब जब हमारे जवानों ने अपने शौर्य का परिचय दिया तो भाजपा ने उत्साह बढ़ाया सबूत नहीं माँगा यही बात भाजपा को आज के विपक्ष से मजबूत करते जा रही है विपक्ष इस बात को जितनी जल्दी समझ जाय भला होगा|विपक्षी हो विरोध करना आपका अधिकार है|मगर जब देश और धर्म की बात आये तो जरा सम्हल के विरोध करिए|क्योंकि ऐसा ही कोई देशवासी होगा जो देश व धर्म विरोधियों के साथ खड़ा होगा|आपके विरोध में देश व धर्म विरोधी बू जनता तक न पहुँचे|इस बात का ध्यान आज के विपक्ष को रखना चाहिए|जनता सब कुछ सह लेगी मगर  देश और धर्म की अस्मिता पर आँच नहीं आने देगी|मगर आज का विपक्ष वही कर रहा है जो उसे नहीं करना चाहिए|वह हम सब सनातनियों की आस्था पर विगत कुछ दिनो से कुठाराघात पे कुठाराघात करता जा रहा है|

कोई रामचरित मानस को जलाने की बात कर रहा है तो कोई प्रभु श्रीराम को मांसाहारी बता रहा है|तो कोई संसद में उत्पात करने वाले उत्पातियों को भटका हुआ बेरोजगार बताने पर तुला हैं|ये कृत्य इन विपक्षियों को उनके आगे नाक रगड़वा रहा है जिसके यहाँ ये जाना नहीं चाहते|जो एक दूसरे को देखना नहीं चाहते थे|जो एक दूसरे की नीतियों और सिद्धांत को नहीं मानते|जिनके विचार मेल नहीं खाते|हाँ एक विषय पर सबके मत एक हैं वह है भाजपा का विरोध और देश विरोधियों भ्रष्टाचारियों राम द्रोहियों का सपोट।

इसीलिए एक गठबंधन बनाने की प्रक्रिया विगत कई दिनों चल रही है। गठबंधन बनाने के लिए कई मेगा शो हुए पर "तइं बड़ी की मइं बड़ी" के भेट चढ़ जा रही है। अभी हाल ही में पाँच राज्यों के चुनाव हुए। गठबंधन करने वाले दल एक दूसरे को जो भद्दे भद्दे शब्दों से नवाजे। उसके क्या कहने, एक ने कहा चिरकुट तो दूसरे ने कहा झिंगुर। नतीजा मुँह के बल गिरे दाँत टूट गये खीस निपुर गई।

 फिर भी गठबंधन की जुगत लगा रहे हैं। इन सब की कारस्तानियों पर जनता गिद्ध दृष्टि गड़ाये देख रही है और समझ रही है कि ए सब देश और धर्म के लिए तो बिल्कुल एकत्रित नहीं हो रहे। इसलिए पुनः मन बना रही है एक बार फिर भाजपा सरकार। क्योंकि आज का विपक्ष विकल्प देने में पूरी तरह फेल है। आज का विपक्ष भारत के गौरव से कुंठित है। भाजपा का विरोध करने की बजाय हम सबके आराध्य प्रभु श्रीराम का विरोध कर रहा है।

 जनता इन सबको दरकिनार करते हुए प्रभु श्रीराम पर सबकुछ न्योछावर करने पर आतुर है। स्थिति यह बनी है कि लोग अपने दुख भूल गये हैं न किसी को मँहगाई याद है न बेरोजगारी सभी राम भक्ति से सराबोर बदहवास विह्वल गदगद गीत गा रहे हैं। "नयन भरि के नयन भरि के नयन भरि भरि के हो, चलअ देखि आई, भव्य अवध नगरिया चलअ देखि आई। श्रीराम के मंदिरिया चलअ देखि आई। 


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