मैं भारत हूँ| #NayaSaveraNetwork
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शिवांश वशिष्ठ |
नया सवेरा नेटवर्क
मै भारत हु
मै वही भारत हु जिसने वेदों का ज्ञान बताया
मै वही भारत हु जिसने सबसे पहले सभ्यता का पहचान कराया
मै वही भारत हु जिसने दुनिया को सत्य का रास्ता दिखाया
मै वही भारत हु जिसने सबसे पहले हितोउपदेश पढ़ के सुनाया
देखो मेरी तरफ मै ज्ञान का भंडार हु
मै वेदों के रिचाओ का एक सुन्दर योगदान हु
मैंने दुनिया को क्या कुछ नहीं दिया
और बदले मे मैंने दुनिय से कुछ नहीं लिया
मै वो भारत हु जिसने हर एक युद्ध को रुकवाने के लिए अपना योगदान दिया
मै वही भारत हु जिसने महादेव की तरह खुद जहर पीके विश्व को जीवनदान दिया
अक्सर दुनिया की हवाओ मे एक बात महसूस होती है की आखिर भारत ने दिया ही क्या है
एक भारत जैसा सापेरो वाला देश मान्यताओं वाला देश अन्धविश्वास से भरा हुआ देश आखिर दे ही क्या सकता है
अब कैसे समझाऊ की जीरो दिया मेरे भारत ने
तब जाके तुमको गिनती आयी
भारत ने दिया दशमलो को तब जाके तारों की भाषा समझ आयी
अरे सूरज से पृथ्वी की दुरी हमने ही सबसे पहले नापा है
हनुमान चालीसा मे कितनी बार उसको बाचा है
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
हम संस्कृति और सभ्यता की धारा है
हमी है वो जिसने मानवता और करुणा को अपने आँखों मे पाला है
और क्या क्या खूबी बताऊ तुमको , और किन किन अच्छी बातो से रूबरू कराऊ तुमको
मेरा भारत वो भारत है जिसके दिलो मे गंगा है, मेरा भारत वो भारत है जिसके ललाट पर सोभित तिरंगा है
मै वही भारत हु जिसने सीता का त्याग देखा
मै वही भारत हु जिसने राधा और कृष्ण का प्यार देखा
मै वही भारत हु जिसने कौरव और पांडव को देखा
मै वही भारत हु जिसने क्रोध मे शिव का तांडव देखा
लोग अक्सर मेरे जन्म का पता लगाते है
कोई हमें 1500 साल पुराना बताता है तो, कोई हमें सिंधु सभ्यता का पाठ पढ़ाता है।
अब उन बुद्धजीवीयो को कैसे समझाऊ की मै आज का थोड़ी हु,मैंने कई युगो को देखा है।
मैंने शिव के त्याग को देखा है. विश्व के कल्याण के लिए विष को पीते देखा है
मैंने सती को अग्नि मे जलते देखा है, मैंने शिव को सती के वियोग मे रोते देखा है
मैंने श्री राम को देखा है उनके द्वारा किये काम को देखा है
मैंने माँ सीता के त्याग को देखा है, मैंने भरत और लक्ष्मण जैसे भाई को भी देखा ह
मैंने महाभारत के युद्ध को देखा है, मैंने उस युद्ध मे कृष्णा के सुधबुद्ध को देखा है
मैंने इतनी सारी चीजे देख डाली जो लोगो के कल्पना के परे है
और कुछ बुद्धजीवी मेरे जन्म के आंकड़े के पीछे पड़े है।
शिवांश वशिष्ठ
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