साहित्यिक और सांस्कृतिक संस्था कोशिश की मासिक काव्य संपन्न | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
जौनपुर। साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था कोशिश की मासिक काव्य गोष्ठी बाबू रामेश्वर प्रसाद सिंह सभागार रासमंडल में ख्यात शायर डा.पी.सी. विश्वकर्मा की अध्यक्षता में आयोजित हुई। जिसमें उर्दू अदब के विशिष्ट पहचान अहमद निसार मुख्य अतिथि एवं मुंबई से पधारे राजीव मिश्र ने विशिष्ट अतिथि के रूप में मंच को गरिमा प्रदान किया।
काव्य पाठ से पहले कोशिश के वार्षिक समारोह की तिथि में परिवर्तन के संबंध में सर्वप्रथम निर्णय लिया गया कि हर वर्ष मौसम लगातार ख़राब रहने के कारण होने वाली कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए अब वार्षिक समारोह प्रथम जनवरी के स्थान पर फ़रवरी माह के प्रथम रविवार को आयोजित होगा। कार्यक्रम का शुभारंभ जनार्दन प्रसाद अष्ठाना द्वारा सरस्वती वंदना से हुआ। इसके बाद अनिल उपाध्याय ने अपनी रचना का पाठ किया, नैतिकता क खुद्दारी हो, विकास के यात्रा जारी/कल का रहनै जिनि पूछा, भयन विधायक खड़ी सफारी/राजनीति पर करारा प्रहार कर गई।
रामजीत मिश्र का शेर-लोगों की फितरतों से पता कुछ नहीं चलता/आये हैं यहाँ आग लगाने या बुझाने समाज के पाखंड का चित्र खींच गया।अहमद निसार का शेर- खुशबुओं की जड़ें हैं इसी खाक में/हम जमीं को समझते हैं बाज़ार क्यूँ। बाजारीकरण की ओर संकेत कर गया। गिरीश कुमार गिरीश का मुक्तक- नई शुरुआत करने की सुखद प्रस्तावना तो है।चलो दिल के किसी कोने में कोमल भावना तो है। घिरे हैं घन सघन टूटी नहीं उम्मीद बाकी है/जरा ठहरो बरसने की अभी संभावना तो है।प्रेम का मोहक रूप प्रस्तुत कर गया। प्रेम जौनपुरी का शेर--यूं बोलबाला है हर सूं तेरी शराफत का/हर एक जिक्र हर एक गुफ्तगू में आई है।
खूब पसंद किया गया। जनार्दन अष्टना पथिक का गीत--सुबह सबेरे पश्चिम के नभ चाँद के संग सितारा है/देख रहा हूँ उभर रहा है मन का दर्द हमारा है वियोगी मन की पीर उड़ेल गया। आर.पी.सोनकर की रचना- -गरीबों की गरीबी धर्म का इन्आम है साहब समाज का विद्रूप चेहरा दिखा गई। अंसार जौनपुरी का शेर-मिट्टी का आदमी था मिटा इससे क्या गरज/मिट्टी में मिल गया या हवा ने उड़ा दिया। जीवन की सच्चाई बयां कर गया। अशोक मिश्र का गीत-साधो, कौन खरीदे दर्पन यह अंधों का गाँव है..मानवीय मूल्यों के क्षरण को परिभाषित कर गया।
प्रो आर एन सिंह ने देश सर्वोपरि नहीं तो सारा प्रवचन व्यर्थ है, सुनाकर खोखली चोचलेबाजी पर तंज कसा। गोष्ठी में फूलचंद भारती,अमृत प्रकाश,राजेश पांडेय, डाक्टर संजय सागर,सुमति श्रीवास्तव आशुतोष पाल,राजीव मिश्र (मुंबई) अश्विनी तिवारी,सुरेंद्र यादव की प्रस्तुति बहुत सुंदर और उर्वर रही। आभार डाक्टर विमला सिंह ने और संचालन अशोक मिश्र ने किया।