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पं. जमदग्निपुरी |
नया सवेरा नेटवर्क
विगत दिनों जो बिहार विधान सभा में बिहार के मुखिया व अगले प्रधान मंत्री बनने का सपना जोये नितीश कुमार ने बिहार विधान सभा के दोनो सदनों में जिस बेहूदगी व बद्तमीजी भरा भाषण दिया वह दुनियाँ का एकलौता भाषण किसी भी मुखिया द्वारा दिया गया है। शायद यह आखिरी भी हो। पूरे विश्व में भारत की ऐसी बदनामी शायद ही कभी हुई हो। सत्ता मद में इतने मगरूर व बद्तमीज नेता को न कभी सुना होगा न देखा होगा। इसे इतनी भी तमीज नहीं है कि क्या कब और कहाँ बोलना चाहिए। फिर भी देश का मुखिया बनना चाह रहा है।
जिस तरह से ये महोदय वक्तव्य दे रहे थे। जैसे सेक्सलाजिस्ट किसी निजी क्लास में दे रहा हो। अपने पूरे जीवन का अनुभव उड़ेल रहे थे और भूल गये कि यह बद्तमीजी भरा इनका ज्ञान टीवी पर पूरे विश्व में प्रत्यक्ष दिखाया व सुनाया जा रहा है मजे की बात तो यह है कि विधान सभा अध्यक्ष महोदय बिना रोंके टोंके बड़े ध्यान से इस ज्ञान को ग्रहण कर रहे थे पक्ष वाले चटकारे ले लेकर सुन रहे थे और तालियाँ भी बजा रहे थे खास बात यह रही कि पक्ष की महिला सदस्यों ने भी इसे शांत भाव से सुनी और ग्रहण कीं विपक्ष असहज जरूर रहा प्रतिकार भी किया। पता नहीं खुले मन से या मजबूरी बस क्योंकि विपक्ष भी तो हमाम में नंगा ही है चाहे कुलदीप सेंगर का मामला हो चाहे ब्रजभूषण शरण सिंह का विपक्ष भी तो वहाँ मौन ही था।
नितीश बाबू ने जिस तरह से महिलाओं के बारे में सदन में बोला उसे सुन देखकर पूरा देश शर्मशार हो गया पर नितीश बाबू को बोलते हुए और इंडी एलायंस को सुनते हुए जरा भी शर्म नहीं आई।उल्टे सभी ठहाके लगा लगा के आनंद के सागर में गोते लगाये। यहाँ तक की इंडी एलायंस में जितनी महिला सदस्य हैं चूँ तक की आवाज नहीं निकाल पाईं। यही महिला सदस्य विगत दिनों मणिपुर में बड़ी हाय तौबा मचा रही थी, महिला सम्मान के लिए। अब क्यों नहीं बोल पा रही हैं क्या इनके नेता भावी प्रधान मंत्री जी महिला सम्मान में चार चाँद लगाये हैं या इन महिला सदस्यों को अपने राज्य की महिला महिला नहीं लगतीं या ये खुद को अपने गठबंधन में महिला नहीं समझतीं या नितीश बाबू की बात इन्हें भी आनंदित कर रही है।
विपक्ष के भारी विरोध के कारण नितीश बाबू ने जिस तरह से माँफी माँगी वह भी योग्य नहीं है। जिस तरह से झल्लाकर रूठे मन से माँफी माँग रहे थे। जैसे उनके पुनीत कार्यों को जबरियाँ रोंक दिया गया हो।
जिस तरह से परत दर परत खोलकर समझा रहे थे। उनके चेहरे के हाव भाव देखने लायक थे। चेहरे की चमक ए बता रही थी की जैसे कामसूत्र पर इन्हें किसी सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि बोलने के लिए बुलाया गया हो और ये अपना पूरा ज्ञान उड़ेल कर गौर्वान्वित हो रहे हों। हद तब हो जाती है जब इनके समर्थक महिमामंडन करने लगे। बिहार के ही दूसरे मुखिया कह रहे हैं दर असल यह सेक्स एजुकेशन की बात है।
वही समझा रहे थे और लोग उसका गलत मतलब निकाल रहे हैं राजनीति कर रहे हैं इसमें महिला के अंतरंग या अपमान की कोई बात ही नहीं है महिला हितैषी प्रियंका वाड्रा मूक समर्थन दे रही हैं। जितनी भी दोगलापंथी है वो सब आज राजनीति में देखने और सुनने को मिल रही है।
जितने हितैषी हैं सब पार्टी के हिसाब से हित कर रहे हैं अभी यही इंडी एलायंस की किसी महिला से कह दिया होता तो सभी आसमान शर पर उठा लिए होते और पूरी महिला जाति का अपमान बताते। जैसे की राजग वाले उठाये हैं। पर यही राजग वाले तब मौन साध लेते हैं जब उनका कोई नेता ऐसे ही कार्यों में लिप्त मिलता है।
बड़े मजे की बात ये है कि नेता लोग अपने कुविचार बक देते हैं। अपने मन की भावना को उड़ेल देते हैं। जब विरोध होता है तो माँफी माँग कर मामला रफा दफा कर लेते हैं। जबकी इनपर कठोर दंड विधान होना चाहिए। जिससे इस तरह के कुविचारी कुत्सित मांसिकता वाले सार्वजनिक जीवन में न आयें। ऐसे लोग समाज देश के लिए कोढ़ स्वरूप होते हैं। इनके अपराध को क्षमा नहीं करना चाहिए। उच्चतम न्यायालय को स्वतः संज्ञान लेकर ऐसे लोगों को जो उच्च पदों पर बैठे हैं तुरंत अपदस्त कर देना चाहिए। इससे इनके बेहूदगी पर लगाम लगेगी और जब भी बोलेंगे सोंच समझकर बोलेंगे। एक राज्य का मुखिया इस तरह से बेहूदगी भरा वक्तव्य भरी सभा में दे,क्षमा योग्य नहीं है।
जिस तरह का भाषण जनसंख्या नियंत्रण पर महोदय ने सदन में दिया। जिस बेशर्मी से दिया। वह एक साहित्यकार के लिए लिखना आसमान नापने के बराबर है।
जिस तरह से एक पुरुष और महिला के अंतरंग सम्बन्धों का उल्लेख भरे सदन में जिसमें महिला सदस्य भी थी। जो घर घर में टीवी पर प्रत्यक्ष प्रसारित हो रहा था। वैसा उल्लेख आज तक न सुना न कोई सुनाया। जिस तरह के इनके विचार हैं हम भारतवासी सुनकर सन्न हैं। सोंचने पर विवश हैं कि क्या हमने ऐसे कुविचारी और कुत्सित मांसिकता वालों को चुनकर अपने शिर पर बैठाया है। जो हमारी पूजनीय महिलाओं के बारे में ऐसे वक्तव्य सदन तक में देने से हिचकते नहीं। जरा सोंचिए ए महिलाओं का कितना सम्मान करते होंगे। जिस देश में महिला को देवी मानकर पूजा जाता है उसी देश के नेताओं की मांसिकता सुन जानकर दुख होता है। सब जानते हैं कि एक महिला और पुरुष का विवाह किस लिए होता है। लेकिन यह चिल्ला चिल्ला कर कहने वाली बात नहीं है। और यह बात पूरे विश्व में किसी भी सदन में न कही गई है न कही जाती है न कही जानी चाहिए। मगर अफसोस कि यह बात हमारे भारत में कही गई और पूरा विश्व अचम्भित है कि भारत जैसे देश में महिलाओं के प्रति नेताओं के ऐसे घृणित विचार हैं। गजब के कहने वाले और गजब के सुनने वाले भी हैं।
ऐसे कुत्सित मांसिकता वाले नेताओं के समर्थक जो हैं वे तो और घृणित होंगें क्योंकि जिसका मुखिया ही ऐसा हो तो उनके अनुगामियों से उससे भी बदतर की ही आशा है। ऐसे लोगों से समाज को बचना चाहिए। ए ऐसा पौधा हैं जो क्षति के अलावाँ कभी भी फायदा नहीं पहुँचाता। देखने में तो खूब हरा भरा रहता है मगर किसी काम का नहीं होता। उल्टे जिस जमीन पर उगता है उस जमीन को दोषपूर्ण बना देता हैं। ऐसे नेताओं का पूर्ण वहिष्कार होना नितांत आवश्यक है। जो अपनी माँ बहनों का चीर हरण करते हुए शीलभंग करता हो। जिसे अंतरंग सम्बन्धों को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर कहने में गुरेज न हो।
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1 टिप्पणियाँ
सुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद