आज छठ महापर्व का तीसरा दिन है। आज के दिन संध्या अर्घ्य दिया जाता है। मतलब आज डूबते हुए सूर्य क अर्घ्य दिया जाता है। संतान प्राप्ति और संतान की उन्नति के लिए रखा जाने वाला चार दिवसीय छठ पर्व शुरू हो चुका है। छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण तीसरा दिन संध्या अर्घ्य का होता है. इस दिन व्रती घाट पर आकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. इस साल छठ पूजा का संध्या अर्घ्य 19 नवंबर को दिया जाएगा. 19 नवंबर को सूर्यास्त शाम 05:26 बजे होगा. बता दें कि, छठ पूजा का तीसरा दिन बहुत खास होता है. इस दिन टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि अर्घ्य के सूप को सजाया जाता है. इसके बाद नदी या तालाब में कमर तक पानी में रहकर अर्घ्य दिया जाता है.
पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पर्व मनाया जाता है, लेकिन इससे दो दिन पहले यानी चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय के साथ छठ पूजा की शुरुआत हो जाती है। मुख्य रूप से छठ का महापर्व बिहार में मनाया जाता है, लेकिन देश से लेकर विदेशों तक में इस पर्व की धूम रहती है। इस पर्व का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य के लिए होता है, जिसमें व्रत करने वाली महिलाएं पानी के अंदर जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं। चार दिवसीय छठ पर्व में तीसरा दिन सबसे खास होता है। ऐसे में चलिए जानते हैं छठ पूजा के दौरान संध्या अर्घ्य कब दिया जाएगा, इसके लिए शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि क्या है...
- खास होता है छठ पूजा का तीसरा दिन
छठ महापर्व का तीसरा दिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर मनाया जाता है। ये छठ पूजा का सबसे प्रमुख दिन होता है। इस दिन शाम के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। महिलाएं दूध और पानी से सूर्य भगवान को अर्घ्य देती हैं। वहीं पूजन सामग्री में बांस की टोकरी में फल, फूल, ठेकुआ, चावल के लड्डू, गन्ना, मूली, कंदमूल और सूप रखा जाता जाता है। इस दिन जैसे ही सूर्यास्त होता है परिवार के सभी लोग किसी पवित्र नदी, तालाब या घाट पर एकत्रित होकर एक साथ सूर्यदेव को अर्घ्य देते हैं।
- परिवार और संतान की लंबी उम्र की कामना
इस दिन महिलाएं अपने परिवार, बच्चों की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं। छठी माता और सूर्य देव से घर में सुख समृद्धि की मांग करती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से छठी माता व्रत करने वाली महिलाओं के परिवार और संतान को लंबी आयु और सुख समृद्धि का वरदान देती हैं।
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