लखनऊ: अनियमितता में हृदय विशेषज्ञ डॉ. समीर की जमानत खारिज | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
लखनऊ। वित्तीय अनियमितता और इलाज के दौरान मरीजों से धन उगाही के कथित आरोपी उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान संस्थान सैफई के कार्डियोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ समीर सर्राफ की जमानत अर्जी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश गौरव कुमार ने खारिज कर दिया है। जमानत अर्जी का विरोध करते हुए विशेष अधिवक्ता केके शुक्ला ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन की पांच सदस्यीय जांच टीम ने वित्तीय अनियमितता, भ्रष्टाचार के संबंध में जांच की थी। जांच में पाया गया था कि विश्वविद्यालय की कैथ लैब में सामान होने के बावजूद वर्ष 2019 में लगभग एक करोड़ की अनावश्यक खरीद हुई। इससे संस्थान को आर्थिक नुकसान हुआ।
आरोप यह भी है कि डॉक्टर समीर सर्राफ द्वारा खरीदा गया पूरा सामान जनवरी 2020 से स्टोर में उपलब्ध था मगर उनका इस्तेमाल नहीं हुआ। जांच समिति ने आरोप लगाया गया है कि डॉक्टर सर्राफ द्वारा कई पीड़ित मरीजों से धोखाधड़ी कर गलत पेसमेकर लगाकर अनुचित अधिक मूल्य वसूला गया। आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत भर्ती हुए कई मरीजों से भी डॉक्टर समीर ने अधिक मूल्य वसूला। समिति ने जांच में पाया कि डॉक्टर समीर सर्राफ ने सपरिवार नियमविरुद्ध अनाधिकृत कई विदेश यात्राएं कीं।
यह उन प्राइवेट कंपनियों द्वारा स्पॉन्सर्ड थे, जिनके कंज्युमेबल आइटम्स, पेसमेकर डॉक्टर समीर इस्तेमाल करवा रहे थे। अदालत ने अभियुक्त की जमानत अर्जी खारिज कर कहा कि अभियुक्त द्वारा मरीजों को पेसमेकर लगाने के दौरान पेशिंग लीड स्टीकर या पीपीआई स्टीकर से संबंधित विवरण में विसंगतियां मिलीं। इस आधार पर एमआरआई पेसमेकर, नॉन एमआरआई पेसमेकर प्रत्यारोपण के बाद अंतर करना संभावित नहीं रहा, जो मरीज के लिए जानलेवा खतरा है।