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न रुकी जंग तो...!
बुराई बढ़ेगी, तो अच्छाई भी बढ़ेगी,
ये दुनिया आज है,तो कल भी रहेगी।
सदियों से एक साथ रहते हम आए,
मोहब्बत की तासीर न फीकी पड़ेगी।
अम्म का रास्ता बनाओ दुनियावालों,
जड़ से जुड़ी कायनात,जुड़ी ये रहेगी।
ऐसे तो मुक्कमल कोई चीज होती नहीं,
अगर ये कमी है,तो कमी ये रहेगी।
खुदा बनने की कोई कोशिश न करो,
जिसकी है ये दुनिया उसी की रहेगी।
जंग पहले भी होती थी आज भी हो रही,
मगर सलामती की दुआ तो होती रहेगी।
दूसरे के खजाने पे बुरी नजर न गड़ाओ,
पर बेगुनाहों की जान ऐसे जाती रहेगी।
कुछ लोगों की साँसों में फैला है जहर,
नफरत की आँधी तो ये चलती रहेगी।
आम आदमी के फायदे में जंग हो नहीं सकती,
शहर की जवानी दफ्न होती रहेगी।
चीख, चीत्कार से कांप रही है धरती,
न रुकी जंग, तो लहू से नहाती रहेगी।
रामकेश एम. यादव, मुंबई
(रॉयल्टी प्राप्त कवि व लेखक)